उत्तर प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी सांसद शिव प्रताप शुक्ला ने अल्पावधि चर्चा के दौरान कोविड-19 के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन की स्थिति पर बोलते हुए विपक्ष की तुलना ओमिक्रॉन से कर डाली। पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री, शुक्ला ने विपक्षी सांसदों पर तंज कसते हुए कहा, "हम सभी ओमिक्रॉन पर चर्चा कर रहे हैं, लेकिन यह तो वेल में खड़ा है।" उन्होंने कहा, "जो लोग संसद को चलने नहीं दे रहे हैं, वे ओमिक्रॉन की तरह हैं, इन ओमिक्रॉन से संसद में लोकतंत्र को खतरा है।"
शुक्ला के इस बयान का आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने विरोध किया, लेकिन शुक्ला नहीं रुके और उन्होंने अपना भाषण जारी रखा और टीकों पर लोगों को गुमराह करने के लिए विपक्ष पर हमला किया। इतना ही नहीं इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी विपक्ष पर ही ठीकरा फोड़ते हुए कहा कि विपक्ष ने चर्चा की मांग की, लेकिन वे फिर भाग गए।
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दरअसल समूचा विपक्षा राज्यसभा से 12 सदस्योंनको पूरे शीत सत्र के लिए निलंबित किए जाने के खिलाफ आवाज उठा रहा है। इसी विषय पर हंगामा होता रहा। इस हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही रोकी गई। सदन के फिर से शुरू होने के बाद सदन के नेता पीयूष गोयल ने एक बार फिर सरकार का ही रुख दोहराते हुए कहा कि निलंबित सांसदों को माफी मांगनी चाहिए।उन्होंने कहा, "सरकार उनके अनुरोध पर विचार करने के लिए तैयार है, लेकिन उन्हें माफी मांगनी चाहिए।"
इस पर राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "हम आपसे अनुरोध कर रहे हैं कि जो अपराध हमने नहीं किया है, वह हम पर थोपा जा रहा है।" खड़गे ने आरोप लगाया कि घटना को लेकर सदन को गुमराह किया जा रहा है।
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कोविड पर संक्षिप्त चर्चा के दौरान विपक्ष ने मांग करते हुए कहा कि निलंबित सांसदों का निलंबन निरस्त करने के साथ उन्हें सदन में लाया जाए। निलंबन के मुद्दे पर राज्यसभा में बुधवार को हंगामे का माहौल रहा। विपक्षी सांसद तख्तियां लेकर सदन के वेल में चले गए और प्रश्नकाल और छोटी अवधि की चर्चा के दौरान नारेबाजी की। इससे पहले, जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी सदस्यों ने मांग करते हुए कहा कि उनके नोटिस को स्वीकार किया जाए और साथ ही सांसदों के निलंबन को रद्द किया जाए, लेकिन सभापति ने इसे खारिज कर दिया।
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