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योगी सरकार को ‘वसूली पोस्टर’ पर बड़ा झटका, हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

लखनऊ में सीएए हिंसा से जुड़े आरोपियों के होर्डिंग्स लगाने के योगी सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल खड़े किए। कोर्ट ने कहा कि हम आपकी चिंता समझ सकते हैं, लेकिन कोई भी ऐसा कानून नहीं, जिससे आपके होर्डिंग लगाने के फैसले को समर्थन किया जा सके।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को ‘वसूली पोस्टर’ मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है। योगी सरकार द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह हाई कोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगाएगी, जिसमें यूपी के अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि वो सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के पोस्टर को हटाएं। कोर्ट ने इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया। अब इस मामले की सुनवाई अगले हफ्ते होगी। जस्टिस उमेश उदय ललित और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की अवकाशकालीन बेंच ने कहा कि इस मामले को चीफ जस्टिस देखेंगे।

Published: 12 Mar 2020, 1:15 PM IST

इससे पहले यूपी सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कई बड़ी टिप्पणी की। यूपी सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि 95 लोग शुरुआती तौर पर पहचाने गए। उनकी तस्वीरें होर्डिंग पर लगाई गईं। सॉलिसिटर ने कहा कि इनमें से 57 लोगों पर आरोप के सबूत भी हैं, लेकिन आरोपियों ने अब निजता के अधिकार का हवाला देते हुए हाई कोर्ट में होर्डिंग को चुनौती दी। सॉलिसिटर ने पुत्तास्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट के 1994 के फैसले का जिक्र किया। उन्होंने का इस फैसले में भी निजता के अधिकार के कई पहलू बताए गए हैं।

Published: 12 Mar 2020, 1:15 PM IST

सॉलिसिटर की दलील पर जस्टिस ललित ने कहा कि अगर दंगा-फसाद या सरकारी संपत्ति बर्बाद करने में किसी खास संगठन के लोग सामने दिखते हैं तो कार्रवाई करना अलग मुद्दा है, लेकिन किसी व्यक्ति की तस्वीर लगाने के पीछे क्या तर्क है? सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हमने पहले चेतावनी और सूचना देने के बाद होर्डिंग लगाए। इस पर जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने कहा कि जनता और सरकार में यही फर्क है। जनता कई बार कानून तोड़ते हुए भी कुछ कर बैठती है, लेकिन सरकार पर कानून के अनुसार ही चलने और काम करने की इजाजत है। जस्टिस ललित ने प्रशासन द्वारा होर्डिंग लगाने के फैसले पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि हम आपकी चिंता को समझ सकते हैं, लेकिन कोई भी ऐसा कानून नहीं, जिससे आपके होर्डिंग लगाने के फैसले को समर्थन किया जा सके।

Published: 12 Mar 2020, 1:15 PM IST

कोर्ट की टिप्पणी पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट ने भी व्यवस्था दी है कि अगर कोई मुद्दा या कार्रवाई जनता से सीधा जुड़े या पब्लिक रिकॉर्ड में आ जाए तो निजता का कोई मतलब नहीं रहता। होर्डिंग हटा लेना ऐसी कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन मुद्दा बड़ा है।

Published: 12 Mar 2020, 1:15 PM IST

सॉलिसिटर जनरल की दलील पर पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी की ओर से कोर्ट में पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने बुनियादी नियमों की अनदेखी की। सिंघवी ने कहा कि अगर ऐसे ही फैसले लेते रहे तो नाबालिग बलात्कारी के मामले में भी यही होगा? इसमें बुनियादी दिक्कत है। सिंघवी ने कहा कि 3 साल बीत जाने के बाद भी सरकार बैंक डिफॉल्टर के नाम अब तक सार्वजनिक नहीं कर पाई। उन्होंने कहा कि यह पिक एंड चूज का मामला है। सरकार ने आदेश जारी कर अधिसूचित कर दिया। क्या यही अथॉरिटी है? सिंघवी ने कहा कि सरकार ने लोकसंपत्ति बर्बाद करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के ही फैसले की अनदेखी की है।

Published: 12 Mar 2020, 1:15 PM IST

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Published: 12 Mar 2020, 1:15 PM IST