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बस मेरे बच्चों को जेल से बाहर निकलवा दीजिये मैं और कुछ नही चाहता: मौलाना असद रज़ा

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ 20 दिसंबर को उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन हुआ था। प्रदर्शन के दौरान यूपी में कई निर्दोष नागरिक पुलिसिया जुल्म के शिकार हुए। इन्हीं में से एक हैं मुजफ्फरनगर के सादात हॉस्टल के संचालक मौलाना असद रज़ा।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
फोटो: आस मोहम्मद कैफ 

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ 20 दिसंबर को उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन हुआ था। प्रदर्शन के दौरान यूपी में कई निर्दोष नागरिक पुलिसिया जुल्म के शिकार हुए। इन्हीं में से एक हैं मुजफ्फरनगर के सादात हॉस्टल के संचालक मौलाना असद रजा। पुलिस ने उनेक साथ-साथ वहां रहने वाले छात्रों को भी न सिर्फ पुरी तरह से पीटा बल्कि मौलाना असद रजा और सादात हॉस्टल के छात्रों को गिरफ्तार भी किया था। कुछ वक्त बाद उन्हें और कुछ छात्रों को छोड़ दिया गया, लेकिन कई छात्र अब भी जेल में हैं। पुलिस पर आरोप है कि उन्होंने छात्रों और मौलाना पर ‘थर्ड डिग्री’ का इस्तेमाल किया है, जिससे उन्हें काफी चोट आईं।

Published: 03 Jan 2020, 5:00 PM IST

इस घटना के बाद से ही मौलाना असद रजा सदमे में हैं। उनका चेहरा पीला पड़ चुका है। पैर में काफी ज्यादा चोट है। वो अब भी चल नहीं पा रहे हैं। हाथ भी फ्रैक्चर है और उन्हें अभी कुछ और दिनों तक हाथ पर प्लास्टर लगाकर रहना होगा। इस घटना ने मौलाना असद रजा को शारीरिक के साथ-साथ दिमागी चोट भी पहुंचाया है। घटना के बाद से ही उन्होंने बातचीत करना भी कम कर दिया है।

Published: 03 Jan 2020, 5:00 PM IST

फोटो: आस मोहम्मद कैफ

सादात हॉस्टल के 17 बच्चे अब भी जेल में हैं। हॉस्टल के संचालक मौलाना असद रज़ा इस बात को लेकर भी परेशान हैं। घटना के बाद कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और मुजफ्फरनगर के प्रभावशाली नेता पंकज मलिक उनसे मिलने पहुंचे। मौलाना ने उनसे बच्चों को जेल से बाहर निकलवाने की गुजारिश की। कांग्रेस नेता से मौलाना ने कहा, “बस मेरे बच्चों को जेल से बाहर निकलवा दीजिये मैं और कुछ और नही चाहता।”

Published: 03 Jan 2020, 5:00 PM IST

मौलाना असद रज़ा हुसैनी पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रीय -अंतरराष्ट्रीय खबरों में बने हुए हैं। 70 साल के मौलाना आज खुद को बेहद असहाय महसूस कर रहे हैं। बच्चों के साथ हुए पुलिसिया जुल्म ने उन्हें अंदर तक हिला दिया है। वो अक्सर कहते हैं, “मैं यतीम बच्चों की हिफाज़त करने में नाकाम हुआ हूं।”

मौलाना असद रज़ा हुसैनी मुजफ्फरनगर स्थित एक मदरसे के प्रिंसिपल भी हैं। मदरसे के सटे ही उनका हॉस्टल है। 20 दिसंबर को सीएए के प्रदर्शन के दौरान महावीर चौक और मीनाक्षी चौक के ठीक बीचोबीच स्थित उनके मदरसे में पुलिस के लाठीचार्ज से बचने के लिए प्रदर्शन कर रही भीड़ घुस आई थी। भीड़ के पीछे यहां पहुंची पुलिस ने स्कूल के बच्चों को भी बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया, बच्चों को बुरी तरह पीटे जाते देख मौलाना असद रज़ा उन्हें बचाने लगे तो उन्हें बुरी तरह मारा गया उनके हाथ पैर तोड़ दिए गए। उनके दफ़्तर को तहस नहस कर दिया गया और दर्जनों बच्चों के साथ उन्हें हिरासत में ले लिया गया। 24 घण्टे हिरासत में रखने के बाद मौलाना को तो छोड़ दिया गया लेकिन 17 छात्र अब भी जेल में हैं।

Published: 03 Jan 2020, 5:00 PM IST

फोटो: आस मोहम्मद कैफ

मौलाना असद रजा घटना के बाद से ही बहुत ज्यादा परेशान हैं। उनके बेटे मोहम्मद हुसैनी बताते हैं, “अब्बू रात को सो नही रहे हैं। चोट सिर्फ जिस्म पर नहीं लगी है, रूह पर भी लगी है। घर में कोई खाना नही खा रहा है। हमारे घर मे मातम है, सभी तक़लीफ़ में है, जब पुलिस मेरे अब्बू को पीट रही थी तो मेरा छोटा भाई अहमद उनके ऊपर लेट गया उसने बचाने की पूरी कोशिश की, हम अपना दर्द आपको नहीं बता सकते। अब हम बस यह चाहते हैं बच्चें छोड़ दिए जाएं।”

घटना के बाद कई बड़े लोग उनसे मिलने आ चुके हैं। शिया समाज के बड़े मौलाना यासूब अब्बास और मौलाना कल्बे जव्वाद भी उनसे मिलकर तकली साझा कर चुके हैं। पुलिस ने उनसे बच्चों को छोड़ने का वादा किया था मगर अब तक ऐसा हुआ नही है। लोगों का कहना है कि जेल भेजे गए ज्यादातर बच्चे नाबालिग और अनाथ हैं। कांग्रेस के पूर्व विधायक पंकज मलिक उनके पड़ोसी हैं। वो कहते हैं, “पुलिस ने अत्याचार की सभी हद पार दी है। लोग पूरी तरह डर गए हैं, सरकार लोगो के मौलिक अधिकारों पर प्रहार कर रही है, आवाज़ों को कुचला जा रहा है। मौलाना असद एक सम्मानित नागरिक हैं। वो 70 साल के हैं। बच्चों के साथ ज्यादती की गई है। पुलिस ने स्कूल के इनके दफ्तर में जाकर तोड़फोड़ की और निर्दयता से पिटाई की यह निश्चित रूप से अत्याचार है।”

Published: 03 Jan 2020, 5:00 PM IST

पूर्व गृह राज्यमंत्री सईदजुमा के पुत्र सलमान सईद कहते हैं “पुलिस के अत्याचार और भेदभाव की ऐसी मिसाल आपको भारत में कहीं नही मिलेगी, सभी हदें पार कर दी गई है। पुलिस के साथ हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भी पथराव किया,आगजनी की, कार जला दी गई। मैं हॉर्स राइडिंग का राष्ट्रीय खिलाड़ी रहा हूं। अब मेरा बेटा नेशनल प्लेयर है। हमारे घोड़े को पीटा गया उसकी टांग जला दी गई। सबकी वीडियो है, फोटो है। मैं राजनीतिक परिवार से हूं। दादा एमपी रहे हैं, पिता गृह मंत्री रहे हैं मगर पुलिस ने मेरा मुकदमा 12 दिन बाद दर्ज किया है। नाइंसाफी और पक्षपात की ऐसी मिसाल कहीं नही मिलेगी।”

Published: 03 Jan 2020, 5:00 PM IST

सलमान बताते हैं “लोग बुरी तरह डरे हुए हैं। वो बोलते हुए डर रहे हैं। हर तरफ भय का माहौल है। पुलिस अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है।” सलमान सईद बच्चों के साथ हुई ज्यादती को लेकर काफी नाराज हैं। वो कहते हैं, “प्रशासन डराने धमकाने की कोशिश कर रहा है। उन्हें डर है ये बच्चें बाहर आएंगे तो हम इन्हें लेकर शिकायत करेंगे इसलिए उन्होंने "डैमेज कंट्रोल टीम" को काम पर लगाया है। यह लोग पीड़ितों के बीच जाकर उन्हें कह रहे हैं कि पुलिस के खिलाफ वो कोई कार्रवाई न करें।लेकिन हम बच्चों के बाहर आने का इंतेजार कर रहे हैं। हम अपनी लड़ाई वैधानिक तरीके से लडेंगे।” मुजफ्फरनगर के मीनाक्षी चौक पर आरएएफ का दंगा नियंत्रण वाहन अब भी खड़ा है। सादात हॉस्टल में अब ताला लगा दिया गया है।

Published: 03 Jan 2020, 5:00 PM IST

वहीं सहारनपुर के डीआईजी और मुजफ्फरनगर के नोडल अफसर उपेंद्र अग्रवाल इन सभी आरोपों का खंडन करते हैं। वह कहते हैं, “बच्चों के उत्पीड़न के आरोप बिल्कुल निराधार हैं। देखा गया है कि कुछ नाबालिग लड़के भी आगजनी कर रहे थे। हम वैधानिक कार्रवाई कर रहे हैं, मगर किसी निर्दोष के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जिन लोगों के विरुद्ध साक्ष्य नहीं मिले हैं, उनके लिए अग्रिम कार्रवाई की जा रही है। पुलिस पर भेदभाव के आरोप भी एकदम गलत हैं।वीडियो फुटेज के आधार पर कार्रवाई की जा रही है, जिसमें कोई भी दोषी हो, किसी को भी नहीं छोड़ने जा रहे हैं। अगर किसी को कोई शिकायत है तो उसके अनुरोध पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी।”

डीआईजी उपेंद्र अग्रवाल पुलिस की बर्बरता के किसी भी आरोप को मानने से एकदम इंकार करते हैं और कहते हैं कि पुलिस ने किसी तरह की कोई बर्बरता नहीं की है। किसी बेगुनाह को बिल्कुल परेशान नहीं किया गया है।

Published: 03 Jan 2020, 5:00 PM IST

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Published: 03 Jan 2020, 5:00 PM IST