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CAA: शाहीनबाग में महिलाओं की हुंकार, 71 साल की सीमा बोलींं- 500 रुपए लेने नहीं पुलिस की गोली खाने आती हूं

सीएए के खिलाफ सर्द मौसम में खुले आसमान तले एक महीना से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहीं 71 साल की सीमा आलम ने कहा कि हो सकता है कि 500 रुपये लेकर कोई किसी धरने में चला जाए, लेकिन यहां तो हम सभी पुलिस की गोली खाने को तैयार बैठे हैं। 

फोटो: IANS
फोटो: IANS 

दिल्ली के जामिया इलाके के शाहीनबाग में प्रदर्शनकारी महिलाओं को लेकर एक वीडियो बीते 24 घंटे के दौरान तेजी से वायरल हुआ है। नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) के खिलाफ सर्द मौसम में खुले आसमान तले एक महीना से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहीं महिलाओं पर आरोप लगाए जाने के जवाब में धरने पर बैठीं 71 वर्षीय सीमा आलम ने कहा, “हो सकता है कि 500 रुपये लेकर कोई किसी धरने में चला जाए, लेकिन यहां तो हम सभी पुलिस की गोली खाने को तैयार बैठे हैं। सीएए के खिलाफ जारी इस आंदोलन को जारी रखने के लिए हम अपनी जान देने को तैयार हैं।”

Published: 17 Jan 2020, 9:38 AM IST

गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर जारी किए गए इस वीडियो में कहा गया है कि शाहीनबाग में धरना दे रहीं महिलाएं शिफ्ट के हिसाब से इस धरने में आती हैं। प्रत्येक शिफ्ट के लिए हर एक महिला को 500 रुपये का भुगतान किया जा रहा है। हन्हें रुपये कौन दे रहा है, न तो इसका खुलासा किया गया है और न ही इस वीडियो की सत्यता अभी साबित नहीं हो पाई है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो की चर्चा गुरुवार को शाहीनबाग में भी होती रही। प्रदर्शन कर रहीं महिलाएं व उनके साथ मौजूद युवाओं ने इस वीडियो को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की।

Published: 17 Jan 2020, 9:38 AM IST

वहीं प्रदर्शनकारियों ने भी गुरुवार को कथित वायरलव वीडियो पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी, जिसे बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट कर आरोप लगाया था कि प्रदर्शन में आने वाली महिलाओं को पैसे देकर बुलाया जा रहा है। शाहीन बाग के आंदोलनकारियों ने इसे एक जनआंदोलन को बदनाम करने की विभाजनकारी ताकतों की साजिश बताया था। आंदोलकारियों ने कहा था कि हमारा हौसला तोड़ने के लिए ऐसी अफवाहें फैलाई जा रही हैं, लेकिन हमारा हौसला ऐसे प्रयासों से और बुलंद होता है।

Published: 17 Jan 2020, 9:38 AM IST

धरने में पिछले एक महीने से आ रहीं रुखसाना अल्वी ने कहा कि वह ओखला स्थित अपने घर में बच्चों को कोचिंग देकर 30 हजार रुपये महीने से अधिक कमा रही थीं। रुखसाना का कहना है कि एक महीने से उन्होंने बच्चों को ट्यूशन नहीं पढ़ाया है, वह अपना काम छोड़कर, अपनी कमाई छोड़कर महज 500 रुपये की खातिर दिनभर सर्दी और बारिश में यहां बैठने नहीं आई हैं, बल्कि आंदोलन में शरीक होने का जज्बा उन्हें यहां खींच लाती है।

Published: 17 Jan 2020, 9:38 AM IST

यहां चल रहे धरने में सैकड़ों घरेलू महिलाएं भी हिस्सा ले रही हैं। कई महिलाओं के साथ उनके बच्चे भी यहीं बैठे रहते हैं। अधिकांश महिलाएं किसी तरह के व्यवसाय या कामकाज से नहीं जुड़ी हैं। इनमें से एक बुजुर्ग महिला अशर्फी से जब 500 रुपये रोज दिए जाने की बात पूछी गई तो वह नाराज हो गईं और बात करने से ही मना कर दिया।

Published: 17 Jan 2020, 9:38 AM IST

सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो से स्थानीय युवा इतने नाराज थे कि उन्होंने इस पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए ज्यादा पूछताछ न करने को कहा। यहां मंच के पास बैठे फैसल ने कहा कि प्रदर्शन में हर दिन अलग-अलग इलाकों से महिलाएं खुद आती हैं, यहां भीड़ जुटाने के लिए अभी तक किसी को बुलाना नहीं पड़ा है।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

Published: 17 Jan 2020, 9:38 AM IST

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Published: 17 Jan 2020, 9:38 AM IST