कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष राजेंद्र पाल गौतम ने गुरुवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के शासन वाले राज्यों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराध के मामले बढ़े हैं, लेकिन इसे रोकने में सरकारों का रवैया शर्मनाक है। गौतम ने यह भी कहा कि अनुसूचित जाति आयोग का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए और सभी राज्य सरकारें जातिगत उत्पीड़न के मामलों को गंभीरता से लें, ताकि लोगों को न्याय मिल सके।
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कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष राजेंद्र पाल गौतम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘देश में दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों पर लगातार हमले हो रहे हैं। खासकर बीजेपी शासित राज्यों में बुरा हाल है और इन घटनाओं पर सरकार का रवैया बहुत ही गैर-जिम्मेदाराना नजर आता है।’’
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कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार ने खुद संसद में एससी-एसटी के खिलाफ अपराध की घटनाएं बताई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हरियाणा में 2017 में उत्पीड़न की 762 घटनाएं हुईं, जो बढ़कर 2021 तक 1,628 हो गईं । मध्य प्रदेश में ये घटनाएं एक साल में 5,892 से बढ़कर 7,214 तक पहुंच गई हैं।" उन्होंने कहा कि NCRB के मुताबिक साल 2018-2022 के बीच SC/ST के खिलाफ उत्पीड़न की घटनाओं में 35% का इजाफा हुआ है। इनमें 26% मामले सिर्फ यूपी से सामने आए हैं- जहां BJP दावा करती है कि यहां सबसे अच्छा लॉ एंड ऑर्डर है।
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देश में ऐसी घटनाओं की सुनवाई के लिए 'National Scheduled Caste Commission' बनाया गया है। National Scheduled Caste Commission में 6,02,177 शिकायतें आई हैं, जिसमें सिर्फ 5,843 Scheduled Caste और Scheduled Tribe के 1,783 शिकायतों पर सुनवाई हुई है। अगर शिकायतों पर सुनवाई नहीं करनी है तो फिर ये कमीशन क्यों बनाया गया है? हमारी मांग है: • सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश उत्पीड़न के मामले में जातिवादी भावना को देखते हुए फैसले देने वाले जजों पर कार्रवाई करें। • संविधान के तहत गठित National Scheduled Caste Commission का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए। • सभी राज्य सरकारें जातिगत उत्पीड़न के मामले को गंभीरता से ले, ताकि लोगों को न्याय मिल सके। • जातिगत उत्पीड़न के मामले में ऐसी कार्रवाई की जाए, ताकि समाज में ऐसी घटनाएं न हों और अपराध को अंजाम देने वालों में डर हो।
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पार्टी के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष गौतम ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में ऐसी घटनाएं एक साल में 1,689 से बढ़कर 2,503 हो गईं। ओडिशा में 1,669 से बढ़कर 2,327 हो गईं। राजस्थान में 4,238 घटनाएं एक साल में बढ़कर 7,224 हो गईं। उत्तर प्रदेश में 11,444 घटनाएं एक साल में बढ़कर 13,144 हो गईं। उत्तराखंड में 96 का आंकड़ा एक साल में बढ़कर 130 हो गया है।’’ उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं के बावजूद सरकारों का रवैया शर्मनाक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘जातिगत उत्पीड़न के मामलों में कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि समाज में ऐसी घटनाएं न हों और ऐसे अपराध को अंजाम देने वालों में डर हो।’’
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