अखिल भारतीय प्रोफेशनल कांग्रेस (एआईपीसी) के 5वें राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए अपने सरकार द्वारा किए गए कार्यों पर रोशनी डाली। उन्होंने बताया कि कैसे उनकी सरकार ने गांव और गरीब को शसक्त बनाने के लिए कदम उठाया है।
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सीएम भूपेश भघेल ने अपनी योजानाओं का जिक्र करते हुए कहा, “आज जब हम गोबर खरीदने की बात करते है तो बीजेपी हमारा मजाक उड़ाती है। वह कहती है कि गोबर को राज्य चिन्ह बना दो। लेकिन इस योजना के पीछे जो मकदस है, गोबर खरीदना मात्र उदेश्य नहीं है। अगर आप गोबर बेचना चाहते हैं तो जानवर को चारा खिलाना पड़ेगा। बिना चारा खिलाए जानवर गोबर देने वाला नहीं है। किसी भूमिहीन गरीब का गोबर से उसके आय में बढ़ोतरी हो रही है। केवल इतना ही उदेश्य हमारा नहीं है। बल्कि जिस धरती से हम अनाज ले रहे हैं, खनिज ले रहे हैं, सबकुछ हम प्रकृति से लेते जा रहे हैं, लेकिन वापस देने का काम कुछ नहीं कर रहे हैं।”
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मुख्यमंत्री ने कहा, “आज पराली जलाने से दिल्ली परेशान है। पंजाब और हरियाणा में कोई अगर पराली जला दे तो दिल्ली परेशान हो जाती है। सुप्रीम कोर्ट तक बात आती है कि पूरे देश को चेंबर बना दिया गया है। हम किसानों से कहते हैं कि जलाइए मत पराली को दान कीजिए। किसान पराली दान कर रहे हैं। पराली जलाने से कार्बन उतसर्जन होता है उससे बचा भी रहे हैं और मवेशियों के चारे का व्यवस्था भी कर रहे हैं। और गोबर के माध्यम से फिर धरती को उर्वरक भी बन रहे हैं। जो हमने पैसा गांव में दिया है उस पैसे से ग्रामीण औद्योगिक शक्ति हम गांव में बना रहे हैं।”
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