पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मोदी सकार की आर्थिक नीतियों पर एक बार फिर हमला बोला है। उन्होंने कहा, “मौजूदा वक्त में बड़ी संख्या में कंपनियां दिवालिया हो गई हैं, बहुत सरे बड़े प्रोजेक्ट फंसे हुए हैं, बैंकों में एनपीए बढ़ गया है। यह अब तक की सबसे खराब स्थिति है। हर जगह, हर क्षेत्र में संकट जैसे हालात हैं।”
चिदंबरम ने मोदी सरकार के उन दावों पर हमला बोला है, जिसमें सरकार लगातार यह कहती आ रह है कि देश में आर्थिक मोर्चे पर सबकुछ ठीक चल रहा है।
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देश की मौजूद विकास दर पर पी चिदंबरम ने कहा, “मोदी सकार ने वादा किया था कि वह विकास दर को दो अंकों में लेकर आएगी, लेकिन सरकार अपने चार सालों के कार्यकाल में ऐसा नहीं कर पाई है।
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शुक्रवार को दिल्ली में इज इंडिया बीईंग रिडिफाइंड के कार्यक्रम में पहुंचे पी चिदंबरम ने कहा, “ जब पिछले 4 सालों में जीडीपी विकास दर मनमोहन सरकार के तुलना में बेहतर रही तो निवेश में 5-6 फीसदी गिरावट क्यों हुई।” उन्होंने आगे कहा कि अगर अर्थव्यस्था के तमाम आंकड़े गिरावट के संकेत दे रहे है तो जीडीपी का आंकड़ा ऊपर कैसे पहुंच गया। ऐसे में जीडीपी दर कैसे बढ़ सकती है। यह गुत्थी सुलझानी पड़ेगी और यह काम सिर्फ नीति आयोग ही कर सकता है।
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इससे पहले पी चिदंबरम ने बुधवार को जीडीपी को लेकर सरकार पर हमला किया था। केंद्र सरकार ने बुधवार को कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के 10 साल के शासनकाल में देश की आर्थिक विकास दर का आंकड़ा घटा दिया था। नए तरीके से की गई गणना के बाद जारी आंकड़ों में यूपीए शासनकाल की जीडीपी में लगभग हर साल करीब 1 फीसदी की कमी कर दी गई है। इसपर चिदंबरम ने कहा था कि नीति आयोग का संशोधित जीडीपी का आंकड़ा एक मजाक है। वह बेहद खराब मजाक है। नीति आयोग ने यह डाटा किसी के मान- सम्मान को ठेस पहुंचाने के मकसद से किया है। यही समय है, जब इस बेकार संस्था को बंद कर दिया जाना चाहिए।
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