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'भारत-पाक के बीच मध्यस्थता करने के चीन के दावे चिंताजनक', जयराम बोले- हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा का बनाया जा रहा मज़ाक

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मंगलवार को दावा किया कि इस वर्ष चीन द्वारा ‘मध्यस्थता’ किए गए प्रमुख संवेदनशील मुद्दों में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव भी शामिल रहे।

भारत-पाक के बीच मध्यस्थता करने के चीन के दावे से उठ रहे कई सवाल?
भारत-पाक के बीच मध्यस्थता करने के चीन के दावे से उठ रहे कई सवाल? फोटो: सोशल मीडिया

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बाद अब चीन ने भी दावा कर दिया है कि, उसने इस साल की शुरुआत में सैन्य झड़पों के दौरान दोनों देशों के बीच झगड़े को बढ़ने से रोकने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की थी। कांग्रेस इसे लेकर एकबार फिर से मोदी सरकार को घेरा है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बुधवार को कहा कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष में चीन हमारे दुश्मन के साथ खड़ा था ऐसे में उसके मध्यस्थता के दावे बेहद चिंता पैदा करने वाली बात है।

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'चीन के दावे चिंताजनक'

जयराम रमेश ने सेना के अधिकारी द्वारा चीन के पाकिस्तान के साथ खड़े होने और पीएम मोदी के चीन के भारत की सीमा में नहीं घुसे होने के दावे वाले वीडियो शेयर करते हुए एक्स पर लिखा, "राष्ट्रपति ट्रंप लंबे समय से यह दावा करते रहे हैं कि उन्होंने 10 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर को रोकने के लिए व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप किया था। वे यह दावा कम से कम सात अलग-अलग देशों में, विभिन्न मंचों पर, 65 बार कर चुके हैं। प्रधानमंत्री ने अपने तथाकथित अच्छे मित्र द्वारा किए गए इन दावों पर आज तक अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है।"

उन्होंने आगे लिखा, "अब चीन के विदेश मंत्री भी ऐसा ही दावा कर रहे हैं और कह रहे हैं कि चीन ने भी मध्यस्थता की थी। 4 जुलाई 2025 को उप सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत असल में चीन का सामना कर रहा था और उससे लड़ रहा था। चूंकि चीन निर्णायक रूप से पाकिस्तान के साथ खड़ा था, ऐसे में भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने के चीन के दावे चिंताजनक हैं-सिर्फ इसलिए नहीं कि वे देश की जनता को अब तक बताई गई बातों के उलट हैं, बल्कि इसलिए भी कि वे हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा का मज़ाक बनाते प्रतीत होते हैं।"

 कांग्रेस महासचिव ने कहा, "इस दावे को चीन के साथ हमारे संबंधों के संदर्भ में भी समझा जाना चाहिए। हमने चीन के साथ फिर से बातचीत शुरू की है -लेकिन दुर्भाग्यवश यह बातचीत चीन के शर्तों पर हो रही है। 19 जून 2020 को प्रधानमंत्री द्वारा चीन को दी गई क्लीन चिट ने भारत की बातचीत की स्थिति को काफ़ी कमज़ोर कर दिया है। हमारा व्यापार घाटा रिकॉर्ड स्तर पर है और हमारे निर्यात का बड़ा हिस्सा चीन से होने वाले आयात पर निर्भर है। अरुणाचल प्रदेश के संबंध में चीन की उकसाने वाली हरकतें लगातार जारी हैं। ऐसे एकतरफ़ा और शत्रुतापूर्ण संबंधों के बीच, भारत की जनता को यह स्पष्टता चाहिए कि ऑपरेशन सिंदूर को अचानक रोकने में चीन ने क्या भूमिका निभाई।"

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चीन के दावे

गौरतलब है कि, चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मंगलवार को दावा किया कि इस वर्ष चीन द्वारा ‘मध्यस्थता’ किए गए प्रमुख संवेदनशील मुद्दों में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव भी शामिल रहे।

उन्होंने कहा, "गतिरोध वाले मुद्दों को सुलझाने के लिए चीन के इस दृष्टिकोण का अनुसरण करते हुए, हमने उत्तरी म्यांमा, ईरान के परमाणु मुद्दे, पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव, फलस्तीन और इजराइल के मुद्दों तथा कंबोडिया और थाईलैंड के बीच हालिया संघर्ष में मध्यस्थता की।"

इस वर्ष 7 से 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष में चीन की भूमिका, विशेष रूप से उसके द्वारा पाकिस्तान को प्रदान की गई सैन्य सहायता, गंभीर जांच और आलोचना के दायरे में आ गई। कूटनीतिक मोर्चे पर, चीन ने सात मई को भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने का आह्वान किया था।

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भारत ने क्या कहा?

भारत का यह कहना रहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सात से 10 मई के दौरान संघर्ष का समाधान दोनों देशों की सेनाओं के सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच सीधी बातचीत के माध्यम से हुआ था।

भारत लगातार यह कहता रहा है कि भारत और पाकिस्तान से संबंधित मामलों में किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के लिए कोई जगह नहीं है।

पीटीआई के इनपुट के साथ

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