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लोकसभा में आज नागरिकता संशोधन बिल पेश करेंगे गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस ने विधेयक को बताया असंवैधानिक

विधेयक में मुसलमानों को छोड़ देने को लेकर कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध जताया है। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने रविवार को एक प्रेसवार्ता के दौरान ऐलान किया कि वह प्रस्तावित विधेयक में दो संशोधन का प्रस्ताव पेश करेगी।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश करेंगे। यह विधेयक लोकसभा के दैनिक कामकाज के तहत सूचीबद्ध है। राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस विधेयक को लेकर विपक्ष की ओर से विरोध के स्वर उठ रहे हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले बुधवार को इस विधेयक को मंजूरी दी थी। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक में भारत के हितों को ध्यान में रखा जाएगा।

कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट कर कहा, “कांग्रेस पार्टी वर्तमान रूप में नागरिकता संशोधन विधेयक का कड़ा विरोध करती है, क्योंकि यह असंवैधानिक है।”

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उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि जब विधेयक के प्रावधानों की घोषणा होगी तो असम समेत पूर्वोत्तर और संपूर्ण भारत में इसका स्वागत किया जाएगा।”

खबरों के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम जहां इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की व्यवस्था लागू है उसे सीएबी के दायरे से बाहर रखा जाएगा, जिसको लेकर 2019 के आम चुनाव में इलाके में राजनीतिक विवाद पैदा हुआ।

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आईएलपी भारत सरकार द्वारा जारी एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है जिसके तहत सुरक्षित इलाके में एक सीमित अवधि के लिए भारत के नागरिकों को यात्रा की अनुमति प्रदान की जाती है।

खबरों के मुताबिक, राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस विधेयक में असम, मेघालय और त्रिपुरा के जनजातीय इलाकों को छोड़ दिया जाएगा। ये ऐसे जनजातीय इलाके हैं जहां संविधान की छठी अनुसूची के तहत स्वायत्त परिषद व जिले बनाए गए हैं।

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पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंग्लादेश में उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्मावलंबियों को नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के तहत भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी। इस विधेयक का विपक्ष ने पहले ही विरोध किया है। कांग्रेस ने इसे असंवैधानिक करार दिया है।

विधेयक में मुसलमानों को छोड़ देने को लेकर अल्पसंख्यक गुटों ने भी इसका विरोध किया है। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने रविवार को एक प्रेसवार्ता के दौरान ऐलान किया कि वह प्रस्तावित विधेयक में दो संशोधन का प्रस्ताव पेश करेगी।

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