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तमिलनाडु विधानसभा कृषि कानूनों के खिलाफ पास करेगी प्रस्ताव, सीएम स्टालिन ने किया एलान

सीएम स्टालिन ने कहा कि केंद्र द्वारा पास तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को छह महीने बीत चुके हैं। यह चिंताजनक है कि केंद्र ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए रचनात्मक बातचीत की कोशिश नहीं की है और न ही इन कानूनों को रद्द करने के लिए कदम उठाए हैं।

फोटोः IANS
फोटोः IANS 

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार विधानसभा में एक प्रस्ताव लाएगी, जिसमें केंद्र सरकार से विवादित तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए कहा जाएगा। स्टालिन ने अपनी पार्टी डीएमके के चुनावी वादे का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार से तीन कृषि कानूनों को वापस लेने और उसके लिए आवश्यक कानून पारित करने के लिए एक प्रस्ताव लाने का वादा किया गया था।

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सीएम स्टालिन ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों को आंदोलन करते हुए छह महीने बीत चुके हैं। डीएमके अध्यक्ष स्टालिन ने यह भी कहा कि यह चिंताजनक बात है कि केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए किसानों के साथ रचनात्मक बातचीत करने की कोशिश नहीं की है और न ही तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए कदम उठाए हैं।

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वहीं बुधवार को 6 महीने पूरे होने पर दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति एकजुटता दिखाते हुए आज तमिलनाडु के किसानों ने प्रदर्शनकारियों संग काले झंडे लहराए।त्रिची सहित मध्य तमिलनाडु के कई जिलों में किसानों ने उत्तर भारत के आंदोलनकारी किसानों के साथ एकजुटता दिखते हुए विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने घरों के ऊपर काले झंडे भी लहराए।

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किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 26 मई को काला दिवस के रूप में मनाने के आह्वान पर विरोध प्रदर्शन किया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के कार्यकर्ताओं और तमिल मानिला विवासाया थोझिलालार संगम जैसे अन्य विभिन्न संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने तंजावुर, त्रिची और राज्य के मध्य क्षेत्र के अन्य जिलों में अपने घरों के ऊपर काले झंडे फहराए।

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देसिया थेनिदिया नदिगल इनैप्पु विवासईगल संगम के अध्यक्ष पी. अय्याकन्नू ने कहा, "हम उत्तर भारत के आंदोलनकारी किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त कर रहे हैं। हम 26 मई को काला दिवस के रूप में मना रहे हैं और अपने घरों के ऊपर काले झंडे लहराए हैं और हमने विरोध मार्च निकाला। हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार किसान विरोधी कानूनों को तत्काल प्रभाव से निरस्त करे।"

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