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कांग्रेस ने सशस्त्र बलों के पेंशन पर मोदी सरकार को घेरा, खत्म करने की साजिश रचने का आरोप लगाया

कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार के नए प्रस्ताव के अनुसार केवल वे अधिकारी ‘पूर्ण पेंशन’ के हकदार होंगे, जिन्होंने सशस्त्र बल सेवा में 35 साल से अधिक बिता लिए हैं। ऐसा कर मोदी सरकार सेना के 90 प्रतिशत कर्मचारियों को उनकी पेंशन से वंचित करने की साजिश रच रही है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि मोदी सरकार सेना के अधिकारियों की पेंशन 'छीनकर' उनका मनोबल गिरा रही है। कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख और महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने केंद्र की बीजेपी सरकार को घेरते हुए कहा कि मोदी सरकार उन अधिकारियों की सक्रिय सेवा के बाद पेंशन और वैकल्पिक कैरियर का विकल्प छीनने वाली इतिहास में पहली सरकार बन गई है, जो हमारी मातृभूमि की रक्षा करते हैं।

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कांग्रेस महासचिव ने कहा, "शहीद सैनिकों की वीरता और राष्ट्रवाद के नाम पर वोट बटोरने वाली मोदी सरकार देश के इतिहास की पहली सरकार बनने जा रही है, जो सीमा पर रोजाना अपनी जान की बाजी लगाने वाले सैन्य अफसरों की पेंशन काटने और सक्रिय सेवा के बाद उनके दूसरे करियर विकल्प पर डाका डालने की तैयारी में है।" उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी सेना के लिए 'दीया' जलाने की बात करते हैं और दूसरी तरफ साहसी और बहादुर सैन्य अफसरों की पेंशन काट कर अंधेरा फैलाने का दुस्साहस कर रहे हैं। यही बीजेपी का झूठा राष्ट्रवाद है।

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रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "मोदी सरकार के नए प्रस्ताव के अनुसार, केवल वे अधिकारी ही 'पूर्ण पेंशन' के हकदार होंगे, जिन्होंने सशस्त्र बल सेवा में 35 से अधिक वर्ष बिता लिए हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि सेना के 90 प्रतिशत अधिकारी इससे पहले ही सेवानिवृत्त हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में मोदी सरकार सेना के 90 प्रतिशत कर्मचारियों को उनकी पेंशन से वंचित करने की साजिश रच रही है।"

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कांग्रेस ने कहा कि सेना में भर्ती के समय भारतीय सैन्य अकादमी के प्रत्येक अधिकारी को अनिवार्य रूप से एक 20 वर्षीय अनिवार्य बॉन्ड पर हस्ताक्षर करना होगा। 20 साल की सेवा के बाद एक अधिकारी को पेंशन के रूप में पिछले आहरित वेतन (लेटेस्ट सेलरी) का 50 प्रतिशत मिलता है, लेकिन मोदी सरकार का नया प्रस्ताव इसमें से भी 50 प्रतिशत छीन रहा है।

सुरजेवाला ने 'सशस्त्र बलों में पेंशन के पुनर्विचार' के लिए आंतरिक ज्ञापन का भी हवाला दिया और कहा, "उदाहरण के लिए, यदि किसी अधिकारी को उनके अंतिम आहरित वेतन के रूप में एक लाख रुपये मिलते हैं, तो वर्तमान में उन्हें 50,000 रुपये पेंशन के रूप में मिलेंगे। लेकिन बीजेपी के नए प्रस्ताव से अधिकारी को केवल 25,000 रुपये ही पेंशन के तौर पर मिल पाएंगे।"

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कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि “सैन्य अफसरों की सेवाओं की शर्तों को भी बैक डेट से संशोधित नहीं किया जा सकता। जब सेना में भर्ती होते हुए 20 साल की अनिवार्य सेवा और 20 साल के बाद फुल पेंशन पर रिटायरमेंट की शर्त रखी गई है, तो आज मोदी सरकार उन सारी सेवा शर्तों को कैसे संशोधित कर सकती है? इससे सैन्य अधिकारियों का मनोबल टूटेगा।"

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कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर सेना के जवानों के हितों की अनदेखी करने और उन्हें धोखा देने का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत की तीनों सेनाओं में पहले से ही 9,427 अफसरों की कमी है। जून, 2019 के आंकड़े बताते हैं कि थल सेना में 7,399, नौसेना में 1,545 और वायु सेना में 483 अफसरों की कमी है। वहीं सशस्त्र बलों में औसतन 65 प्रतिशत सेना अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल के पद तक सीमित हैं। केवल 35 फीसदी अधिकारी ही कर्नल या उससे ऊपर के पदों तक पहुंच पाते हैं।

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