दिल्ली सरकार के अधिकारों और सेवा से जुड़ा विधेयक- 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 ' मंगलवार को लोकसभा में पेश हो गया। मोदी सरकार में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में यह विधेयक पेश किया। कांग्रेस, डीएमके और टीएमसी सहित INDIA गठबंधन में शामिल विपक्षी दलों ने इस बिल को संघवाद की भावना और संविधान के खिलाफ बताते हुए इसे सदन में पेश करने का जोरदार विरोध किया। विधेयक पर बुधवार को सदन में चर्चा और वोटिंग होगी।
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विपक्षी दलों ने सदन में आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी बनाने के लिए मोदी सरकार की ओर से यह बिल लाया जा रहा है। लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन, टीएमसी सांसद सौगत रॉय, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई और शशि थरूर, डीएमके सांसद टीआर बालू और एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल को सदन में पेश करने का विरोध करते हुए कहा कि यह विधेयक संघवाद के खिलाफ है। सेवा राज्य का विषय है इसलिए यह विधेयक संविधान के खिलाफ है।
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वहीं, विरोधी नेताओं के बाद चर्चा में शामिल होते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विरोधी दलों के तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि संविधान ने सदन को दिल्ली राज्य के संबंध में कोई भी कानून पारित करने की शक्ति दी है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने भी इसे स्पष्ट कर दिया है। शाह ने कहा कि राजनीतिक कारणों से इस बिल का विरोध किया जा रहा है। बिल का विरोध करने का कोई संवैधानिक आधार नहीं है। अमित शाह ने सदन से अनुरोध किया कि उन्हें यह विधेयक लाने की अनुमति दी जाए।
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वहीं, बीजू जनता दल सांसद पिनाकी मिश्रा ने कहा कि इस सदन को दिल्ली के बारे में कानून बनाने का पूर्ण अधिकार है। लोकसभा में संख्या बल के गणित के आधार पर इस बिल का पारित होना तय माना जा रहा है। लोकसभा में मोदी सरकार बहुमत में है। बीजेपी के पास अपने 301 सांसद हैं, जबकि एनडीए के पास 333 सांसद हैं। वहीं विपक्ष के पास कुल 142 सांसद हैं। सबसे ज्यादा 50 सांसद कांग्रेस के हैं। ऐसे में लोकसभा में दिल्ली सेवा बिल तो मोदी सरकार आसानी से पास करा लेगी।
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लेकिन सरकार की असली परीक्षा राज्यसभा में होगी। राज्यसभा में बीजेपी के 93 सांसद हैं और सहयोगी दलों को मिलाकर 105 हैं। इसके अलावा बीजेपी को पांच मनोनीत और दो निर्दलीय सांसदों का भी समर्थन मिलना तय है। ऐसे में बीजेपी के पास 112 सांसद हो जाएंगे। फिर भी वह बहुमत के आंकड़े से 8 कम रहेगी। बीजेपी को बीएसपी, जेडीएस और टीडीपी के एक-एक सांसदों के समर्थन की उम्मीद है। इसके बाद बीजेपी को बीजेडी या वाईएसआर कांग्रेस के साथ की जरूरत होगी। दोनों के राज्यसभा में 9-9 सांसद हैं। बीजेडी के बिल के समर्थन में आने से बीजेपी के लिए राज्यसभा की राह आसान होती दिख रही है। विपक्षी गठबंधन के पास 105 सांसद हैं।
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