बिहार में बीजेपी विधायक विजय खेमका और उनके बॉडीगार्ड द्वारा मारे-पीटे जाने वाले पूर्णिया जिले के दलित युवक अनिल कुमार राम ने आरोप लगाया है कि केस वापस न लिए जाने की स्थिति में उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी जा रही है। राम फिलहाल पूर्णिया जिले में इस उम्मीद के साथ दर-दर भटक रहे हैं कि खेमका और उनके अंगरक्षक के खिलाफ पुलिस की ओर से कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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राम ने पूर्णिया में मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए कहा, "खेमका के सहयोगियों ने मुझे एक हफ्ते पहले उनके और उनके बॉडीगार्ड के खिलाफ केस वापस लेने की धमकी दी थी। हेलमेट और फेस मास्क पहनकर मोटरबाइक पर सवार होकर उन्होंने मुझसे यह बात कही। उन्होंने मुझे केस वापस लेने के लिए 20 लाख रुपये देने की भी पेशकश की।"
वह आगे कहते हैं, "मैं 30 मई को हुए अपमान के लिए न्याय चाहता हूं। मैंने इस मामले में सीएम नीतीश कुमार, डीजीपी एसके सिंघल, जोनल आईजीपी, जिला एसपी और पूर्णिया के जिलाधिकारी को पत्र लिखा है।"
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30 मई को दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, राम कई दलित परिवारों के साथ गुलाब बाग इलाके में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम मन की बात को सुन रहे थे। वहां बीजेपी विधायक विजय खेमका भी मौजूद थे।
राम ने कहा, "कार्यक्रम खत्म होने के बाद मैंने पूर्णिया के दलित इलाकों की दयनीय स्थिति की बात कही। बरसात के दिनों में घरों में सीवेज का पानी घुसने से ये रहने लायक नहीं रह जाते हैं। चूंकि वह (खेमका) एक जनप्रतिनिधि हैं, उन्हें दलित इलाकों के मुद्दों जैसे कि जल निकासी की सुविधा और कॉन्क्रीट की बनी सड़कों पर काम करना चाहिए, बात करनी चाहिए।"
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राम ने आगे कहा, "मेरी बात सुनने के बाद खेमका और उनके बॉडीगार्ड ने सबके सामने मेरी पिटाई कर दी। उन्होंने मुझे दलित बस्ती के मुद्दों पर बात करने के लिए गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी।" घटना के बाद से पूरे राज्य में दलित समुदाय में भारी आक्रोश है।
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