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दिल्लीः अजीम को इंसाफ दिलाने के लिए लोगों ने पुलिस मुख्यालय घेरा, मॉब लिंचिंग का शिकार हुआ था 8 साल का मासूम

पुलिस की असंवेदनशीलता, आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई में कोताही और मृतक अजीम के रिश्तेदारों के साथ पुलिस के दुर्व्यवहार से नाराज सैकड़ों लोगों ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस मुख्यालय का घेराव कर विरोध में नारेबाजी और प्रदर्शन किया।

फोटोः बिपिन
फोटोः बिपिन 

राजधानी दिल्ली के मालवीय नगर इलाके में स्थित बेगमपुर मदरसा के एक 8 साल के छात्र मोहम्मद अज़ीम की इलाके के कुछ लड़को द्वारा पीट-पीटकर हत्या और आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई ना होने से नाराज सैकड़ों लोगों ने 30 अक्तूबर को दिल्ली पुलिस मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया। लोग इस बात से काफी नाराज थे कि एक तरफ पुलिस आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही और दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी के विधायक सोमनाथ भारती और अमानतुल्लाह खान जैसे लोग इस मामले को दबाने की कोशिश में लगे हुए हैं।

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प्रदर्शनकारियों की नाराजगी मालवीय नगर थाना के एसएचओ द्वारा अजीम को पिता के साथ किये गए दुर्व्यवहार को लेकर भी थी। 29 अक्टूबर को एसएचओ ने अजीम के पिता मोहम्मद खलील को झूठा बताते हुए फटकार दिया था और अजीम की हत्या के मामले में हुई कार्रवाई के बारे में भी बताने से इनकार कर दिया था।

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पुलिस के व्यवहार से निराश मोहम्मद खलील ने इसके खिलाफ और अपने 8 साल के मासूम अजीम को इंसाफ दिलाने के लिए लोगों से आईटीओ स्थित पुलिस मुख्यालय का घेराव करने की अपील की थी। उनकी अपील पर मंगलवार को बड़ी तादाद में लोग जमा हुए और जमकर प्रदर्शन और नारेबाजी की। इस दौरान लोग ‘नरेंद्र मोदी शर्म करो’, ‘नरेंद्र मोदी डूब मरो’, ‘दिल्ली पुलिस मुर्दाबाद’, ‘ग़ुंडा गर्दी नहीं चलेगी’ और हमारे भाई को इंसाफ दो’ जैसे नारे लगाते देखे गए। सैंकड़ों की भीड़ देखकर पुलिस ने बैरीकेड लगाया था, लेकिन अजीम को इन्साफ दिलाने में दिल्ली पुलिस की कोताही से नाराज लोगों ने बैरीकेड की भी कोई परवाह नहीं की और पुलिस के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।

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बता दें कि 29 अक्तूबर को मोहम्मद अजीम के पिता मोहम्मद खलील अपने कुछ रिश्तेदारों, वकील और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मालवीय नगर पुलिस स्टेशन पहुंचे थे और एसएचओ से केस की कार्रवाई के बारे में पूछा। इस सवाल का जवाब देना तो दूर एसएचओ ने उन्हें अपमानित किया और ये कहते हुए पुलिस स्टेशन से निकल कर बाहर चले गए कि उन्हें कहीं जाना है। एसएचओ के जाने के बाद वहां मौजूद कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने वहां हुई घटना का वीडीयो सोशल मीडिया पर शेयर किया, जिसमें मोहम्मद खलील, उनके रिश्तेदारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और वकील ने बताया कि एसएचओ ने केस के बारे में कोई जानकारी भी नहीं दी। उन्होंने बताया कि बंटी नाम के एक लड़के और कुछ महिलाओं द्वारा धमकी दिये जाने की शिकायत करते हुए जब उनसे कार्रवाई करने की मांग की गई उन्होंने मोहम्मद खलील को ही झूठा कह दिया। एसएचओ ने साफ तौर पर कह दिया कि बंटी ऐसा नहीं कह सकता है। जैसे वो बंटी को अच्छी तरह जानते हैं। बेगमपुर मदरसे के एक संचालक ने बताया, “बंटी ने जब धमकी दी तो इसकी शिकायत 100 नंबर पर पुलिस को दी गई थी। वहां उस समय और भी कई लोग मौजूद थे लेकिन एसएचओ साहब हम सबको ही झूठा बता रहे हैं।”

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हैरानी की बात ये है कि मोहम्मद खलील और बेगमपुर मदरसा के संचालकों की तरफ से क़त्ल करने वाले बच्चों और उन्हें हौसला देने वाली इलाके की दो महिलाओं का नाम भी दिया गया था जो एफआईआऱ से गायब है। यही नहीं इस मामले में पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की थी उसमें आरोपियों के नाम देने के बावजूद अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। लोगों में पुलिस के इस रवैये को लेकर जबरदस्त गुस्सा है।

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गौरतलब है कि 25 अक्टूबर को मालवीय नगर के मदरसे में पढ़ने वाले मोहम्मद अजीम को स्थानीय कुछ लड़को ने पीट-पीटकर मार डाला था। घटना उस समय हुई, जब मदरसे के छात्र छुट्टी के बाद पास के मैदान में क्रिकेट खेल रहे थे। उसी समय कुछ स्थानीय लड़कों ने उसकी पिटाई कर दी और फिर उसे एक मोटरसाइकिल पर फेंक दिया, जिससे उसकी मौत घटनास्थल पर ही हो गई। आरोप है कि इस घटना के बाद आरोपियों को भड़काने वाली कुछ महिलाओं ने खुलेआम ये धमकी दी कि अभी तो एक ही मरा है, आगे और भी मरेंगे। इन सारी बातों की जानकारी पुलिस को दी जा चुकी है, लेकिन घटना के तूल पकड़ने के बाद सिर्फ 4 लड़कों की गिरफ्तारी के आगे कोई कार्रवाई अभी तक नहीं हुई है।

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