दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने मंत्री कपिल मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर आगे की जांच करने का आदेश दिया है। यह आदेश मोहम्मद इलियास नाम के व्यक्ति की दायर याचिका पर दिया गया, जिसमें उन्होंने दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा समेत अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी।
दिल्ली पुलिस ने कपिल मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का विरोध किया और कोर्ट में कहा कि उन्हें फंसाने की साजिश रची जा रही है।
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पुलिस के अनुसार, इस मामले में पहले ही उचित जांच हो चुकी है और मंत्री कपिल मिश्रा के खिलाफ किसी ठोस सबूत के अभाव में एफआईआर दर्ज करना अनावश्यक होगा। हालांकि, कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए दिल्ली पुलिस को एफआईआर दर्ज करने और मामले की जांच आगे बढ़ाने का आदेश दिया।
मोहम्मद इलियास ने अगस्त 2024 में एक याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि 23 फरवरी 2020 को उन्होंने कपिल मिश्रा और उनके समर्थकों को दिल्ली के कर्दमपुरी इलाके में एक सड़क को ब्लॉक करते हुए देखा था। इलियास ने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने वहां मौजूद रेहड़ी-पटरी वालों की गाड़ियों को तोड़ते हुए भी देखा।
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याचिका में कहा गया कि तत्कालीन उत्तर-पूर्वी दिल्ली के डिप्टी पुलिस कमिश्नर और अन्य पुलिस अधिकारी भी घटनास्थल पर मौजूद थे और वे कपिल मिश्रा के बगल में खड़े थे।
आरोप लगाया गया कि कपिल मिश्रा ने प्रदर्शनकारियों को धमकी देते हुए कहा था कि अगर वे जगह खाली नहीं करेंगे, तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें।
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कोर्ट के आदेश के बाद अब दिल्ली पुलिस को इस मामले में एफआईआर दर्ज कर विस्तृत जांच करनी होगी। इस आदेश को कपिल मिश्रा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
बता दें कि फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगा हुआ था, जिसमें 53 लोगों की मौत हुई थी और 200 से अधिक लोग घायल हुए थे।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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