कोरोना वायरस की आमद के साथ ही घोषित लॉकडाउन के तहत बीते 25 मार्च से देश के सारे स्कूल बंद हैं। अब इन स्कूलों को क्रमबद्ध तरीके से खोलने की तैयारी की जा रही है। इस महीने के लिए जारी अनलॉक-5 की गाइडलाइंस में स्कूलों को 15 अक्टूबर से खोलने की अनुमति दे दी गई थी, लेकिन फैसला राज्य सरकारों पर छोड़ दिया गया था। अब शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल खोलने के दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत राज्यों को सुरक्षा, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ स्कूलों को शुरू करने के लिए एसओपी यान मानक नियम जारी करने होंगे।
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इस सिलसिले में शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि केंद्र सरकार ने राज्यों को छूट दी है कि वे अपनी परिस्थितियों को देखते हुए अभिभावकों और संस्थानों से बातचीत करके स्कूल खोल सकते हैं।
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आखिर क्या हैं गाइडलाइंस:
स्कूल के हर हिस्से की सफाई और सैनिटाइजनेशन कराना होगा। यानी स्कूलों को क्लास रूम्स, फर्नीचर, स्टोर, पानी की टंकिया और डिस्पेंसर, किचन और कैंटीन, प्रयोगशाला यानी लैब के साथ ही पूरे कैंपस की सफाई और सैनिटाइजेशन सुनिश्चित करना होगा
स्कूलों को अलग-अलग कई टास्क टीम बनानी होंगी, जिनके ऊपर इमरजेंसी केयर सपोर्ट, जनरल सपोर्ट और हाईजीन इंस्पेक्शन यानी स्वच्छता निरीक्षण जैसी जिम्मेदारी होगी
राज्यों के दिशा निर्देश और मानक नियमों के मुताबिक स्कूल को छात्रों की सुरक्षा और सभी के लिए शारीरिक दूरी यानी फिजिकल डिस्टेंसिं सुनिश्चत करनी होगी। स्कूल इस बारे में अपने एसओपी यानी मानक नियम तय कर सकते हैं। इन नियमों को पोस्टर, मैसेज या नोटिस के माध्यम से अभिभावकों तक पहुंचाना होगा
क्लास रूम में सीटिंग प्लान में शारीरिक दूरी का ध्यान रखना जरूरी है। स्कूल किसी भी तरह के कार्यक्रम आयोजित नहीं कर सकते
सभी छात्रों, शिक्षकों और अन्य स्टाफ को मास्क पहनना अनिवार्य होगा। क्लासरूम और लैब के अलावा अन्य शैक्षणिक गतिविधि में इसका कड़ाई से पालन करना होगा
स्कूलों को सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में मैसेज स्कूल में जगह-जगह डिस्प्ले करने होंगे
छात्रों को स्कूल बुलाने से पहले अभिभावनों की सहमति अनिवार्य होगी, जो अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते उसे घर से पढ़ाई की अनुमति दी जाएगी
छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों, हॉस्टल स्टाफ और अन्य स्टाफ को शिक्षा मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन का पालन करना होगा
परीक्षा और ब्रेक के लिए शैक्षणिक सत्र यानी एकेडमिक कैलेंडर में जरूरी बदलाव करने होंगे। स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि स्कूल खुलने से पहले सभी छात्रों के पास किताबें हों
छात्रों की अटेंडेंस के नियम बदलने होंगे और उपस्थिति में छूट दी जाएगी। इसकी जरूरत इसलिए है कि बीमार होने की स्थिति में बच्चा या स्टाफ घर पर रह सके
किसी के भी कोरोना संक्रमित पाए जाने पर प्रोटोकॉल के तहत आगे की कार्रवाई की जाएगी
जिन स्कूलों में मिड डे मील दिया जाता है उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि राज्य सरकारें सुनिश्चित करें कि मिड डे मील में गर्म पका हुआ खाना परोसे। या इसके बराबर छात्रों को भत्ता दें।
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स्कूलों ने एनसीईआरटी के वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर का पालन करने को कहा गया है। मूल्याकंन के दौरान पेन, पेपर टेस्ट की जगह सीख आधारित मूल्याकंन के लिए अलग-अलग फॉर्मेट अपनाने पर जोर दिया है।
स्कूल खुलने के 2 से तीन हफ्ते बाद तक तुरंत किसी तरह के मूल्याकंन की अनुमति नहीं होगी। ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने को भी कहा गया है। मनोदर्पण से उल्लेख करते हुए एसओपी में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी गाइडलाइन भी दी गई है।
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केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कहा, "इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभागों, स्कूलों के प्रमुखों, शिक्षकों और परिजनों की भूमिका और जि़म्मेदारियों के बारे में भी बताया गया है। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए यूनिसेफ की गाइडलाइन के आधार पर एसओपी में स्कूल में सुरक्षित वातावरण के लिए एक चेक लिस्ट भी शामिल की गई है।"
गौरतलब है कि कोरोना की मौजूदा स्थिति को देखते हुए दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने सभी स्कूलों को 31 अक्टूबर तक बंद रखने का निर्णय लिया है
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