हालात

पंजाबः गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस पर भी सबने की राजनीति

पंजाब के सीएम भगवंत मान और अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गरगज के बीच पिछले कुछ दिनों में काफी आरोप-प्रत्यारोप हुए हैं। भगवंत मान तो यहां तक कह चुके हैं कि गरगज अकाल तख्त के वैध जत्थेदार नहीं हैं क्योंकि उनके चुनाव में मर्यादा का पालन नहीं हुआ।

पंजाबः गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस पर भी सबने की राजनीति
पंजाबः गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस पर भी सबने की राजनीति फोटोः सोशल मीडिया

पंजाब के लिए यह एक बहुत बड़ा मौका था। सिखों के नौंवे गुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी दिवस पर यह उम्मीद थी कि पूरा पंजाब एक दिखाई देगा। लेकिन राजनीति ने इसके आयोजनों को भी पार्टी लाइन पर बांट दिया। इस अवसर पर आनंदपुर साहिब में ही तीन अगल-अलग तरह के आयोजन हुए और तीनों के आयोजकों ने एक दूसरे से दूरी बनाए रखी।

Published: undefined

आम आदमी पार्टी की सरकार ने जो आयोजन किया उसके लिए पूरा तंत्र ही लगा दिया गया। कईं दिन के आयोजन शुरू हुए जो अभी तक जारी हैं। लेकिन शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इससे अपने आप को पूरी तरह अलग कर लिया। अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गरगज ने बाकायदा एक बयान देकर यह बात कही। 

वैसे पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान और गरगज के बीच पिछले कुछ दिनों में काफी आरोप-प्रत्यारोप हुए हैं। भगवंत सिंह मान तो यहां तक कह चुके हैं कि गरगज अकाल तख्त के वैध जत्थेदार नहीं हैं क्योंकि उनके चुनाव में मर्यादा का पालन नहीं हुआ।

Published: undefined

तीन दिन तक चले सरकारी आयोजनों के मुकाबले शिरोमणि प्रबंधक कमेटी पूरे एक सप्ताह के लिए आयोजन कर रही है। हमेशा की तरह अकाली दल भी इन्हीं आयोजनों का ही हिस्सा है।

लेकिन पहली बार पंजाब में बीजेपी ने सिख धर्म से जुड़ा कोई आयोजन किया। पार्टी ने नौवें गुरु के सम्मान में कीर्तन दरबार का आयोजन आनंदपुर साहिब में ही किया। इसमें पार्टी के अध्यक्ष सुनील जाखड़, कार्यकारी अध्यक्ष अश्विनी शर्मा, इकबाल सिंह लालपुरा आदि शामिल हुए। पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता अमरिंदर सिंह इस कार्यक्रम में शामिल नहीं थे। हालांकि उनकी पत्नी और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रणीत कौर ने इसमें जरूर शिरकत की।

Published: undefined

जब तक बीजेपी अकाली दल के साथ गंठजोड़ में थी उसके नेता अकाली दल के आयोजनों का ही हिस्सा बनते थे। इस बार यह गठजोड़ नहीं था इसलिए बीजेपी को अलग आयोजन करना पड़ा।

इसकी तुलना अगर हम अप्रैल 1999 से करें जब आनंदपुर साहिब में ही खालसा पंथ की स्थापना की 300वीं जयंती मनाई गई थी। उस समय पंजाब सरकार और एजीपीसी ने जो आयोजन किए उनमें सभी उसमें शामिल हुए थे। उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी उसमें भाग लिया था और मनमोहन सिंह और शरद पवार जैसे राष्ट्रीय स्तर के नेता भी उसमें शामिल थे। देश भर से विपक्षी नेताओं को उन आयोजनों में बुलाया गया था।

Published: undefined

भगवंत सिंह मान विपक्षी नेताओं को आमंत्रित करने में कामयाब नहीं हुए। इसके बजाए उन्होंने 24 नवंबर को विधानसभा के एक सत्र का आयोजन आनंदपुर साहिब में जरूर किया। जिसमें सभी दलों के विधायक शामिल हुए। इसके अलावा बाकी सरकारी कार्यक्रमों से जो भी तस्वीरें आई हैं उनमें भगवंत मान के अलावा आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल ही मौजूद हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आनंदपुर साहिब के किसी भी आयोजन में नहीं पहुंचे। इसके बजाए उन्होंने इस मौके पर दिल्ली में हुए आयोजनों में शामिल होना ही ठीक समझा।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined