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महाराष्ट्र: सीएम और व केंद्रीय मंत्री के चुनाव क्षेत्र में दीवाली के दिन किसान ने की आत्महत्या की कोशिश

महाराष्ट्र के विदर्भ अंचल में यवतमाल जिले के 40 साल के युवा किसान को दीवाली केदिन आत्महत्या को इसलिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उसके गन्ने के खेत में राज्य बिजलीबोर्ड के ट्रांसफ़ार्मर में लगी आग से उसकी गन्ने की पूरी फसल जलकर राख हो गई।

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फोटो : सोशल मीडिया प्रतिनिधि तस्वीर

किसान सुजीत रमेश दहेकर कई दिनों से मुआवजे के लिए बिजली बोर्ड के चक्कर लगाते रहे, लेकिन उन्हें सिर्फ निराशा हाथ लगी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार किसान ने आग बुझाने के लिए फायर बिग्रेड को भी बुलाया लेकिन वे बैरंग लौट गए। फायर कर्मियों का कहना था कि आग बुझाने का जो इंजन उनके पास है, उससे इतने बड़े खेत में लगी आग की लपटों को काबू नहीं किया जा सकता।

परिवार के साथ दीवाली मनाने के लिए किसान सुजीत के पास फूटी कौड़ी तक नहीं थी। जहर खाकर आत्महत्या की कोशिश का गांव वालों को जैसे ही पता लगा उन्होंने भी विरोध में उस दिन काली दीवाली मनाई। पूरे विर्दर्भ में गन्ना और कपास के किसान घोर सरकारी उपेक्षा से बुरी तरह खिन्न हैं।

महाराष्ट्र में यवतमाल ही नहीं पूरे विदर्भ में किसानों ने इस बार काली दीवाली मनाई। लोग हैरत में थे कि कई दिनों तक बिजली विभाग का चक्कर लगाने के बावजूद उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। लेकिन पूरे इलाके में हड़कंप मचने के बाद बिजली विभाग ही नहीं पूरा सरकारी अमला अब गांव में नमूदार हो गया।

किसान को यवतमाल के सरकारी अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती किया गया, जहां 48 घंटे बाद उसकी हालत खतरे से बाहर बताई गई है। पूरा गांव ही नहीं क्षेत्र के किसान और सामाजिक संगठन उसके समर्थन में एकजुट हैं। सुजीत के साथियों की मांग है कि उन्हें बिजली बोर्ड का ट्रांसमिशन जोकि उनके खेत में है, उससे हुए नुकसान की राज्य सरकार भरपाई करे। साथ ही बिजली बोर्ड और फायर ब्रिगेड के खिलाफ भी लापरवाही बरतने का मुकदमा दर्ज हो।

गौरतलब है कि नागपुर से सटे यवतमाल क्षे़त्र से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विधायक हैं जबकि केंद्र में गृहराज्य मंत्री हंसराज अहीर लोकसभा में यहां का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

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विदर्भ में किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि, "महाराष्ट्र और केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण ही सुजीत जैसे हजारों किसान आत्महत्या के लिए बाध्य हो रहे हैं।“ उनका कहना है कि कर्जमाफी की महाराष्ट्र सरकार की योजना मजाक बनकर रह गई, क्योंकि बीजेपी सरकार ने झूठे वायदे कर किसानों के वोट तो हासिल कर लिए, लेकिन सत्ता में आने पर वादाखिलाफी के सिवाय किसानों को कुछ नहीं हासिल नहीं हुआ।

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