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सहारनपुर में गन्ने की पाती जलाने पर गरीब किसानों पर केस, नेता बोले- आतंकियों को छोड़ किसानों पर लगाई सैटेलाइट

उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के मामले में एक हजार से ज्यादा किसानों के खिलाफ केस दर्ज हुआ है। इनमें से 6 किसानों की गिरफ्तारी भी हुई है। इससे पहले शामली में भी कथित तौर पर सैटेलाइट से नजर रखकर किसानों पर केस हुए और उसके बाद 37 हजार रुपये जुर्माना किया गया।

फोटोः आस मोहम्मद कैफ
फोटोः आस मोहम्मद कैफ 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में पुलिस ने पराली जलाने के मामले में दो किसानों पर मुकदमा दर्ज किया है। यह मुकदमा जिला गन्ना अधिकारी के अनुरोध पर दर्ज किया गया है। इस मुकदमे की खास बात यह है कि जिला गन्ना अधिकारी ने केस दर्ज कराते हुए बताया है कि पराली और गन्ने की पराली जलाने वाले किसानों पर कड़ी नजर रखी जा रही है और इसके लिए सैटेलाइट की मदद ली जा रही है। इस मामले में भी सैटेलाइट से ही पता चला कि आरोपी किसानों ने पराली जलाई।

जिन दो किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है, वो दोनों खटोली गांव के रहने वाले हैं। इनका नाम दिनेश और महताब है। यही नहीं स्थानीय प्रशासन ने इस कार्रवाई पर अपनी पीठ भी थपथपाई है। स्थानीय अखबारों में इस बारे में खबर भी छपवाई गई है।

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किसानों के खिलाफ इस कार्रवाई से स्थानीय किसान नेताओं में नाराजगी है। सहारनपुर के रामपुर मनिहारान कस्बे में किसानों के बीच पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा, "सरकार ने सारी सैटेलाइट किसानों पर नजर रखने पर ही लगा दी है, इसलिए देश में आतंकी अंदर घुस रहे हैं। यह किसानों के जले पर नमक छिड़कने की तरह है। सरकार किसानों को अपराधी की नजर से देख रही है। अब किसान खेत मे अपने गन्ने की पाती भी नहीं जला पाएगा क्योंकि ऐसा करने पर भी उसके खिलाफ केस दर्ज हो जाएगा।”

इससे पहले उत्तर प्रदेश में दर्जनों किसानों के विरुद्ध पराली जलाने के मामले में मुकदमे दर्ज हुए हैं। इसे लेकर किसानों में नाराजगी है। योगी सरकार की आलोचना के बाद पराली जलाने के मामले में जागरूकता फैलाने की बात कही जा रही थी। अब सैटेलाइट से किसान पर नजर रखने वाली बात से किसान अपमानित महसूस कर रहे हैं।

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सहारनपुर के नए गांव के बड़े किसान हाजी इश्तेयाक गाड़ा कहते हैं, “यह जानकर काफी तकलीफ महसूस हो रही है कि किसानों पर सैटेलाइट से नजर रखी जा रही है। क्या किसान आतंकवादी है! अगर किसी मजबूर किसान ने पराली जला दी है तो वो ऐसा न करें, इसके लिए बेहतर विकल्प तलाशा जाना चाहिए! अब गन्ने की पाती जलाने पर भी मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। अब किसान गन्ने की पाती लेकर कहां जाए। यह बहुत अधिक मात्रा में नहीं होती है। अगर बात प्रदूषण की है तो फैक्ट्री सबसे पहले बंद होनी चाहिए।”

जिला गन्ना अधिकारी नंद किशोर त्रिपाठी के अनुसार उन्होंने जिलाधिकारी के निर्देश पर यह कार्रवाई की है। पहले स्थानीय लेखपाल प्रियंका सहित अन्य कर्मचारियों से जांच कराई गई और उसके बाद पूरी पुष्टि करने के बाद ही मुकदमा दर्ज कराया गया है। हमने यह किसान का उत्पीड़न करने के उद्देश्य से नहीं किया है। सहारनपुर के जिलाधिकारी अखिलेश सिंह के मुताबिक, “बेकार पराली को सरकार 100 रुपये प्रति क्विंटल के दर से खरीद रही है।

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वहीं, आरोपी किसान सुरेश चंद्र का कहना है कि उसने अपने खेत मे गन्ने की पाती जलाई थी। पराली तो धान से निकलती है। अब गन्ने की पाती जलाना भी गुनाह हो गया है। मैं बुरी तरह आहत हूं। सरकार को कोई दूसरा रास्ता निकालना चाहिए। नकुड़ के किसान और आरएलडी नेता सुधीर भारतीय के अनुसार अब किसानों पर केस गन्ने की पाती जलाने पर हो रहे हैं। पराली खेतों में बची ही नहीं है। प्रशासनिक अमला किसानों की पीड़ा नहीं समझ रहा है। हर एक बात का समाधान डंडा नही होता है।

उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के मामले में एक हजार से ज्यादा किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुका है। आश्चर्यजनक रूप से यहां 6 किसानों की गिरफ्तारी भी हुई है। इससे पहले शामली में भी कथित तौर पर सैटेलाइट से नजर रखे जाने पर किसानों पर मुकदमे हुए और उसके बाद 37 हजार रुपये जुर्माना किया गया।

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बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आरके तिवारी की इस संबद्ध में जारी की गई एडवाइजरी के मुताबिक फसल के अवशेष को जलाने से रोकने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। इस आदेश को कड़ाई से पालन कराने की बात कही गई है। खास बात यह है कि सभी स्थानीय जिलाधिकारी को भेजे गए आदेश में मुख्य सचिव ने कहा है कि सैटेलाइट से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में अभी भी पराली जलाई जा रही है। इसके अलावा हार्वेस्टर से कटाई पर भी रोक लगाई गई है। राजस्व विभाग के कर्मचारियों को निर्देश है कि हार्वेस्टर कटाई करता मिलने पर जब्त कर लिया जाए।

भारतीय किसान यूनियन के पश्चिम उत्तर प्रदेश प्रभारी राजू अहलावत कहते हैं कि यह सरकार किसान हितैषी नहीं है। अब इस बात को बार-बार कहे जाने की आवयश्कता नहीं है। इनकी तमाम नीतियां पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए होती है। एनजीटी को फैक्ट्रियों का हवा में जहर घोलता धुंआ और नालों में बहता जहरीला पानी नहीं दिखाई देता है। कमजोर और गरीब किसान पर इनकी कार्रवाई सही नहीं है। यह अफसोसनाक है कि देश मे आतंकवादी घुस रहे हैं और सैटेलाइट किसानों की निगरानी कर रही है।

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