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बिहार ‘रिपब्लिक’ में अब आरोपों की बाढ़, पटना के हालात को लेकर बीजेपी-जेडीयू गठबंधन में तकरार

हाल ही में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने दावा किया था कि यह प्रकृति की मार नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन की नाकामी है। गिरिराज यहीं नहीं रुके थे, उन्होंने गांधी जयंती के मौके पर बिहार सरकार के पूरी तरह नाकाम हो जाने के लिए लोगों से माफी भी मांगी थी।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

पूर्व केंद्रीय मंत्री राम कृपाल यादव अपने निर्वाचन क्षेत्र में नदी में क्या गिरे, बिहार के सत्तारूढ़ गठबंधन में आरोप-प्रत्यारोप उफान पर आ गया है। बिहार में बीजेपी और जेडीयू गठबंधन के बीच तलवारें खिंचती नजर आने लगी हैं। इस बार प्रहार का मोर्चा सीधे नीतीश कुमार ने संभाला है। एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं और दूसरे मोर्चे पर न्यूज़ चैनल रिपब्लिक टीवी है।

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अभी एक सप्ताह पहले तक किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि नीतीश कुमार किसी महिला रिपोर्ट पर चिल्ला पड़ेंगे। उन्होंने कहा था, “जो चिल्ला रही है लड़की, किस चैनल की है, उस चैनल का क्या नाम है सबको मालूम है....उसको वहां भेजा गया है...यहां उस चैनल वाला आदमी नहीं दिख रहा है।” जाहिर है नीतीश कुमार सीधे-सीधे रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी की तरफ इशारा कर रहे थे।

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खिसियाए हुए नीतीश कुमार ने इस संवाददाता को पहले बताया था कि वह महिला पत्रकार इतनी युवा है कि उसे पटना में बाढ़ और पानी भरने जैसे मुद्दे समझ नहीं आएंगे। इसी बीच नीतीश के बराबर खड़े एक व्यक्ति चिल्लाया था, “बाहर से आई हैं मुंह दिखाने...” अपने करीब 4 दशक के राजनीतिक जीवन में नीतीश कुमार इस तरह से कभी भी पत्रकारों से इस तरह नहीं उलझे थे। और महिला पत्रकार के मामले में तो सवाल ही पैदा नहीं होता।

लेकिन विडंबना है कि वे विपक्षी दलों या अपने आलोचकों पर हमलावर नहीं हैं, बल्कि अपने खुद के सत्तारूढ़ गठबंधन से नाराज दिख रहे हैं। उन्होंने खिसियाहट में बीजेपी शासित महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई और अमेरिका तक में जलभराव की बात कह दी। उन्होंने कहा, “मीडिया मुंबई और अमेरिका की बाढ़ को लेकर क्यों कुछ नहीं दिखाता?” ध्यान रहे कि अमेरिका के ह्यूस्टन में पीएम मोदी के कार्यक्रम से सिर्फ दो दिन पहले ही भारी बारिश हुई थी, लेकिन किसी कार्यक्रम पर कोई फर्क नहीं पड़ा था।

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इस दौरान जनता दल यूनाटेड के नेता दबी जुबान में इस पूरे मामले के लिए अपने सहयोगी बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं। इन नेताओं का कहना एक तरह से सही भी है। क्योंकि, हाल ही में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने दावा किया था कि यह प्रकृति की मार नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन की नाकामी है। गिरिराज यहीं नहीं रुके थे, उन्होंने गांधी जयंती के मौके पर बिहार सरकार के पूरी तरह नाकाम हो जाने के लिए लोगों से माफी भी मांगी थी।

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इस सबके बीच जेडीयू कार्यकर्ता निराश नजर आ रहे हैं, उनका मानना है कि अगर कोई नाकामी है तो इसकी जिम्मेदारी गठबंधन के दोनों दलों पर बराबर की है। उनके मुताबिक शहरी विकास विभाग हमेशा से बीजेपी के शीर्ष नेताओं के पास रहा है। मसलन अश्विनी चौबे और डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी इस विभाग के इंचार्ज रहे हैं।

रोचक है कि पटना बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके राजेंद्र नगर और कांकरबाग पटना सेंट्रल सीट का हिस्सा हैं और यहां से बीते 14 बरस से सुशील कुमार मोदी विधायक हैं। ध्यान रहे कि वर्तमान में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे भी जब शहरी विकास विभाग के इंचार्ज थे तब उन्होंने वादा किया था कि वे पटना शहर को पेरिस जैसा बना देंगे।

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जेडीयू नेताओं के सबसे ज्यादा यही बात चुभ रही है कि इस आफत के लिए दोनों पार्टियां जिम्मेदार हैं, लेकिन ठीकरा सिर्फ नीतीश कुमार पर फोड़ा जा रहा है। जेडीयू नेता इस बात की भी शिकायत कर रहे हैं कि बात-बात पर ट्वीट करने वाले प्रधानमंत्री मोदी भी पटना के मामले पर चुप हैं। आम तौर पर नेताओं में यही सरगोशियां हैं कि केंद्र ने अभी तक किसी किस्म के राहत पैकेज का ऐलान क्यों नहीं किया?

अभी 30 सितंबर को प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया था कि उन्होंने फोन पर नीतीश कुमार से बात कर बाढ़ के हालात पर जानकारी ली थी। संयोग से पटना साहब लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद सांसद हैं। वे भी लोगों को यही दिलासा दे रहे हैं कि पानी निकालने के लिए छत्तीसगढ़ से पंप मंगाए गए हैं। और सबसे दिलचस्प तो यह है कि ये सब महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर हो रहा है, जो कहते थे, “झगड़े के लिए सिर्फ दो ही लोग चाहिए।”

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यूं तो बिहार में कोई विपक्ष है ही नहीं, ऐसे में एनडीए के घटक दल ही आपस में सिर फुटव्वल पर उतर आए हैं। लेकिन रोचक बात है कि बीजेपी नेताओं ने एनआरसी, धर्मनिरपेक्षता, तीन तलाक और अनुच्छेद 370 को लेकर नीतीश कुमार पर कोई हमला नहीं बोला। इन सभी मुद्दों पर नीतीश के बोल बीजेपी से अलग सुनाई दिए हैं। लेकिन पटना में जलभराव को लेकर उन्होंने जो आक्रामकता दिखाई है, वह हैरान करने वाली है।

इन सारे विवादों के बीच राम कृपाल यादव के पानी में गिरने की उतनी चर्चा नहीं हो पा रही, जितनी होनी चाहिए थी।

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