
राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने मंगलवार को आरोप लगाया कि कथित भ्रष्टाचार के लिए न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की दिशा में बढ़ने के पीछे सरकार का असली मकसद कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करके और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) लाकर न्यायाधीशों की नियुक्ति पर नियंत्रण करना है।
Published: undefined
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सरकार पर न्यायमूर्ति वर्मा और न्यायमूर्ति शेखर यादव के मामलों को संभालने में चयनात्मक दृष्टिकोण अपनाने का भी आरोप लगाया। न्यायमूर्ति यादव के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने पिछले साल कथित रूप से ‘सांप्रदायिक’ टिप्पणी करने के लिए महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए राज्यसभा में नोटिस दिया था।
Published: undefined
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने में सभी राजनीतिक दलों को साथ लेने के सरकार के संकल्प पर जोर दिया है। इसी साल मार्च में राष्ट्रीय राजधानी में न्यायमूर्ति वर्मा के आवास पर आग लगने की घटना हुई थी और उस समय वहां कथित तौर पर भारी पैमाने पर जली हुई नकदी बरामद की गई थी।
Published: undefined
सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार का इरादा कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करना और न्यायाधीशों की नियुक्ति पर नियंत्रण रखना है। न्यायमूर्ति वर्मा के मामले का उल्लेख करते हुए सिब्बल ने कहा, ‘‘मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह सकता हूं कि वह सबसे बेहतरीन न्यायाधीशों में से एक हैं, जिनके समक्ष मैंने बतौर वकील दलीलें दी हैं। आप उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में किसी भी वकील से पूछिए, सभी यही कहेंगे कि इस न्यायाधीश द्वारा किसी भी तरह का गलत काम करने की गुंजाइश नहीं है।’’
Published: undefined
कपिल सिब्बल ने कहा, ‘‘यह चौंकाने वाली बात है कि आप (मोदी सरकार) एक ऐसे न्यायाधीश को निशाना बना रहे हैं, जिसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है और आप एक ऐसे न्यायाधीश को बचा रहे हैं जिसके खिलाफ कोई सबूत की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उसका बयान सार्वजनिक पटल पर है और सभापति के समक्ष महाभियोग प्रस्ताव लंबित है।’’
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined