
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बीच एक और बूथ-लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीएलओ के सुसाइड पर चुनाव आयोग की आलोचना की। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 'एक्स' पर लिखा, "कृष्णानगर में एक और बीएलओ, एक महिला शिक्षक की मौत की खबर सुनकर बहुत सदमा लगा। विधानसभा क्षेत्र छपरा (82) में बीएलओ रिंकू तरफदार ने अपने घर पर आत्महत्या करने से पहले अपने सुसाइड नोट में चुनाव आयोग को दोषी ठहराया है।"
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इसके बाद, मुख्यमंत्री ने पूछा कि एसआईआर की वजह से पश्चिम बंगाल में और कितनी जानें जाएंगी। ममता बनर्जी ने 'एक्स' पोस्ट में लिखा, "और कितनी जानें जाएंगी? एसआईआर के लिए और कितने लोगों को मरना होगा? इस प्रोसेस के लिए हमें और कितनी लाशें देखनी पड़ेंगी? यह अब सच में बहुत चिंता की बात हो गई है।"
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वहीं टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी बीएलओ की मौत को लेकर चुनाव आयोग पर निशाना साधा है। मोइत्रा ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार, आप 52 साल की बीएलओ रिंकू तरफदार की आत्महत्या में मदद करने और उकसाने के लिए ज़िम्मेदार हैं, जिन्होंने कल रात अपनी जान ले ली। अपने सुसाइड नोट में उन्होंने साफ़-साफ़ लिखा था कि उनकी मौत के लिए सिर्फ़ चुनाव आयोग ही ज़िम्मेदार है।
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दावा है कि नादिया जिले की बीएलओ रिंकू तरफदार ने कथित तौर पर राज्य में एसआईआर से जुड़े काम के दबाव के कारण आत्महत्या कर ली। अपने सुसाइड नोट में रिंकू तरफदार ने कथित तौर पर अपनी चिंता जताई थी कि अगर उन्होंने बीएलओ का काम पूरा नहीं किया तो उन पर प्रशासनिक दबाव आएगा। पुलिस के मुताबिक, महिला बीएलओ ने सुसाइड नोट में लिखा था, "मैं प्रेशर नहीं झेल सकती।"
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इस हफ्ते पश्चिम बंगाल में एसआईआर से जुड़ी आत्महत्या की यह दूसरी घटना है। इससे पहले जलपाईगुड़ी में शांति मुनि एक्का नाम की एक और महिला बीएलओ ने कथित तौर पर आत्महत्या की थी। यह घटना जलपाईगुड़ी के माल बाजार इलाके में हुई। एक्का की मौत के बाद भी मुख्यमंत्री ने चुनाव आयोग की आलोचना की थी। वहीं, परिवार ने आरोप लगाया कि उसने अपनी जान देने का फैसला इसलिए किया, क्योंकि वह एसआईआर के काम का दबाव नहीं झेल पा रही थी।
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