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हार्टफेल से अचानक हो रही मौतों का क्या कोविड से कोई संबंध है! ICMR अभी तक पूरी नहीं कर पाया है इस बारे में रिसर्च

आईसीएमआर ने नए सिरे से कहा है कि वह इस बारे में दो स्टडी कर रहा है कि हार्टफेल से अचानक होने वाली मौतों का कोविड से कोई संबंध है या नहीं। बीते 6 माह के दौरान आईसीएमआर और केंद्र सरकार के बयानों में इस बाबत विरोधाभास फिर सामने आया है।

फोटो सौजन्य : photo: main.icmr.nic.in
फोटो सौजन्य : photo: main.icmr.nic.in 

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने एक बार फिर दोहराया है कि युवाओं में अचानक दिल की धड़कन रुक जाने से होने वाली मौतों के लिए सिलसिले में इस बात के "दो अध्ययन" कर रहा है, और जानने की कोशिश कर रहा है कि क्या उन मौतों का कोई कोविड लिंक हो सकता है। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ राजीव बहल और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ऐसा कहा हो। कई महीनों से दोनों इस किस्म के अध्ययन की बात कहते रहे हैं, लेकिन अभी तक इस शोध का कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है।

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गांधीनगर में गुरुवार और शुक्रवार को आयोजित डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन समिट (जीसीटीएम) के इतर पत्रकारों से बात करते हुए डॉ बहल ने कहा कि आईसीएमआर हाल के दिनों में अचानक हुई मौतों पर स्टडी कर रहा है क्योंकि ऐसी मौतों के कारण स्पष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे अध्ययन का उद्देश्य देश को कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभावों और प्रकोप के नतीजों को समझने में मदद करना है।

हालांकि, जून 2023 में भी डॉ बहल ने कहा था कि युवाओं में हार्टफेल और कोविड-19 टीकों के बीच संभावित संबंध पर आईसीएमआर अध्ययन के परिणाम "दो सप्ताह के भीतर" प्रकाशित किए जाएंगे। इस बयान के बाद उन्होंने दावा किया था कि आईसीएमआर निष्कर्षों को सार्वजनिक करने से पहले पेपर की समीक्षा होने का इंतजार कर रहा है। लेकिन अभी तक कुछ भी सामने नहीं आया है।

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अंतरिम तौर पर डॉ बहल ने यह भी कहा हार्ट फेल होने के मामलों में अचानक तेजी और उनके कोविड-19 वैक्सीन से संभावित संबंध पर चार अध्ययन होने थे। पहला था युवा लोगों में अचानक होने वाली मौतों के कारणों को समझना, दूसरा था यह आकलन करना कि क्या अचानक हार्टफेल और टीकाकरण और लंबे समय तक रहने वाले कोविड का परिणाम है, तीसरा यह था कि क्या मौतें हार्टफेल या ब्रेन स्ट्रोक के कारण थीं, जबकि चौथा उन लोगों पर ध्यान देगा जो मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन (हृदय विफलता) से पीड़ित थे लेकिन बच गए।

इसी बीच, जुलाई में संसद में बीजेपी सांसद रवींद्र कुशवाह और खगेन मुर्मू द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा था कि आईसीएमआर कोविड-19 के बाद कार्डियक अरेस्ट के बढ़ते मामलों को समझने के लिए "तीन अध्ययन" कर रहा है। “कोविड-19 के बाद कुछ युवाओं की अचानक मृत्यु की सूचना मिली है। हालाँकि, वर्तमान में, ऐसी मौतों के कारण की पुष्टि करने के लिए पर्याप्त सबूत उपलब्ध नहीं हैं।”

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बहल के जुलाई के बयान से तीन महीने पहले 29 मार्च को, मनसुख मंडाविया ने कहा था कि आईसीएमआर कोविड-19 के बाद हृदय संबंधी घटनाओं में अचानक वृद्धि पर "एक अध्ययन" कर रहा था। उन्होंने कहा था कि अध्ययन पहले ही शुरू हो चुका है और निष्कर्ष दो महीने में आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ''मैंने इस मुद्दे पर वैज्ञानिकों के साथ बैठकें की हैं और आईसीएमआर ने अध्ययन शुरू कर दिया है। टीकाकरण और सहरुग्णता डेटा हमारे पास उपलब्ध है।''

दिसंबर 2022 में, उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन में, मंडाविया ने दावा किया था कि अचानक दिल की विफलता और कोविड-19 के बीच कोई सह-संबंध था या नहीं, इस पर आईसीएमआर शोध को पूरा होने में "अगले छह महीने" लगेंगे, जैसे वैज्ञानिकों के साथ डॉ. निवेदिता और डॉ. तनवीर कौर अनुसंधान टीम का हिस्सा हैं।

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आईसीएमआर प्रमुख और मंत्री दोनों के बयानों के विरोधाभास से इन 'अध्ययनों' की सटीक संख्या और साथ ही उनकी वर्तमान स्थिति के बारे में काफी भ्रम की स्थिति बन गई है। न तो अभी तक यह पता है कि स्टडी वाकई हो रही हैं या नहीं और न ही इस बात की कोई संभावन दिखी है कि इस बारे में निष्कर्ष और रिपोर्ट कब तक सामने आएंगी।

बहल का कहना है कि वे 18-45 आयु वर्ग में होने वाली मौतों की जांच कर रहे हैं। देश की शीर्ष चिकित्सा अनुसंधान संस्था कथित तौर पर नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 50 पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स का अध्ययन कर रही है, लेकिन इसके लिए कोई तय समयसीमा सामने नहीं है।

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उनके अनुसार, आईसीएमआर का शोध यह देखने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स का अध्ययन कर रहा है कि क्या मृतकों में शारीरिक परिवर्तन हुए हैं जो उनकी मृत्यु का कारण बन सकते हैं। उन्होंने कहा, "जब हम इन पोस्टमार्टम रिपोर्टस की तुलना कोविड से पहले की रिपोर्ट्स से करते हैं तो हम कारणों या अंतरों को समझने की स्थिति में होंगे।"

दूसरी स्टडी में आईसीएमआर कथित तौर पर देश भर के ऐसे 40 केंद्रों के डेटा का उपयोग करेगा, जिन्होंने अस्पताल से छुट्टी के बाद एक साल तक कोविड रोगियों पर निगरानी रखी है और उनके दाखिले से लेकर अस्पताल से छुट्टी और मृत्यु के संबंध में डेटा दर्ज किया है। स्टडी में उन जीवित बचे लोगों पर भी ध्यान केंद्रित होगा जो मृतक के पड़ोस में रहते थे।

बहल ने बताया कि स्टडी के लिए लिंग, उम्र, पारिवारिक चिकित्सा इतिहास, तंबाकू के उपयोग, जीवनशैली, कोविड इतिहास और टीकाकरण के आधार पर समान प्रोफाइल वाले लोगों का इंटरव्यू भी किया जाएगा।

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फरवरी 2022 में 'नेचर मेडिसिन' में प्रकाशित एक अध्ययन, जिसमें अमेरिका के स्वास्थ्य देखभाल डेटाबेस का उपयोग किया गया था, में पाया गया कि कोविड -19 वाले व्यक्तियों में सेरेब्रोवास्कुलर विकार, डिसरिथिमिया, इस्केमिक और गैर-इस्केमिक हृदय रोग और पेरिकार्डिटिस, मायोकार्डिटिस, हृदय विफलता और थ्रोम्बोम्बोलिक रोग सहित कई श्रेणियों में होने वाले हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।

इस स्टडी में कहा गया था कि “ये जोखिम उन व्यक्तियों में भी स्पष्ट थे जो संक्रमण के तीव्र चरण के दौरान अस्पताल में भर्ती नहीं थे। इस बात के सबूत हैं कि तीव्र कोविड​​-19 से बचे लोगों में हृदय रोग का जोखिम एक साल तक बना रह सकता है।”

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