कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि विश्वविद्यालयों पर नियंत्रण करना, स्वायत्त संस्थानों का गला घोंटना, सार्वजनिक शिक्षा पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मनुवादी विचारधारा थोपना और युवाओं के साथ विश्वासघात करना ही मोदी सरकार की शिक्षा नीति है।
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खड़गे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘बीजेपी-आरएसएस लगातार, भारत की उच्च शिक्षा पर हमलावर हैं। नरेन्द्र मोदी जी, आप “परीक्षा पे चर्चा” और “एक्जाम वारियर” से अपना ढोल पीटते हैं, पर राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा (एनटीएसई) को तीन वर्षों से बंद कर दिया गया है, ऐसा समाचार पत्रों से पता चला है।’’ उन्होंने दावा किया कि 1963 से चलाई जा रही इस योजना पर 40 करोड़ रुपये ख़र्च होते पर प्रधानमंत्री मोदी के प्रचार पर 62 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
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कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘यूजीसी के मसौदा नियमन, 2025 में कुलपति नियुक्तियों पर राज्यपालों को व्यापक नियंत्रण प्रदान किया गया है और गैर-शैक्षणिक लोगों को इन पदों पर रहने का अधिकार दिया गया है, जो संघीय ढांचे (संघवाद) और राज्य के अधिकारों पर स्पष्ट रूप से हमला है। बीजेपी-आरएसएस चाहती है कि केवल संघ परिवार के कुलपति नियुक्त हों।’’
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खड़गे ने दावा किया, ‘‘पहले यूजीसी विश्वविद्यालयों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही थी और यूजीसी को सरकार धन देती थी। पर अब वित्तीय सहायता देने के काम को मोदी सरकार द्वारा बनाई गई उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) ने हड़प लिया है। यह केनरा बैंक और शिक्षा मंत्रालय के बीच एक उपक्रम है।’’ उन्होंने कहा कि इससे न केवल कॉलेज और विश्वविद्यालयों को अधिक स्व-वित्तपोषित पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, बल्कि एससी, एसटी, ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों की वित्तीय परेशानियां भी बढ़ेंगी।
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खड़गे के अनुसार, यह सहायता एचईएफए को सरकारी वित्तपोषण के रूप में नहीं, बल्कि ऋण के रूप में दी जा रही है। उन्होंने कहा कि यूजीसी के बजट में 61 प्रतिशत की ज़बरदस्त कटौती की गई है। कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालयों पर नियंत्रण करना, स्वायत्त संस्थानों का गला घोंटना, सार्वजनिक शिक्षा पर आरएसएस की मनुवादी विचारधारा थोपना और युवाओं के साथ विश्वासघात करना- यही मोदी सरकार की शिक्षा नीति है।’’
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