मध्य प्रदेश के इंदौर की जिला अदालत ने 13 वर्षीय एक स्कूली छात्रा के लैंगिक उत्पीड़न और पहचान से जुड़े दस्तावेजों की जालसाजी के बहुचर्चित मामले में उत्तर प्रदेश के एक चूड़ी विक्रेता तस्लीम उर्फ गोलू को आरोपों से बरी कर दिया। सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता नाबालिग लड़की और उसके माता-पिता ने आरोपी (तस्लीम) को पहचानने से ही इनकार कर दिया और प्राथमिकी के आरोपों को लेकर अभियोजन की कहानी का समर्थन नहीं किया।
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बचाव पक्ष के एक वकील ने मंगलवार को बताया कि विशेष न्यायाधीश रश्मि वाल्टर ने उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के चूड़ी विक्रेता तस्लीम उर्फ गोलू (28) को बरी किए जाने का फैसला सोमवार को सुनाया। अदालत ने 27 पेज के अपने फैसले में कहा कि साक्ष्यों की विवेचना से तस्लीम के खिलाफ लगाए गए आरोप साबित नहीं होते हैं। अदालत में अभियोजन पक्ष यह भी साबित नहीं कर सका कि तस्लीम ने अपना फर्जी आधार कार्ड बनाकर इसका असली के रूप में इस्तेमाल किया।
फैसले में चूड़ी विक्रेता (28) को लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट), भारतीय दंड विधान की धारा 354 (स्त्री की लज्जा भंग करने की नीयत से उस पर आपराधिक बल का प्रयोग), धारा 420 (धोखाधड़ी), धारा 471 (जाली दस्तावेज को असली के रूप में इस्तेमाल करना) और प्राथमिकी में अन्य प्रावधानों के तहत लगाए गए आरोपों से मुक्त किया गया है।
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फैसले के बाद तस्लीम ने कहा, ‘‘मैं बेगुनाह था। मुझे कुछ लोगों ने झूठे मामले में फंसा दिया था। हालांकि, मुझे देश के संविधान और न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा था।’’ देश के अलग-अलग स्थानों पर फेरी लगाकर चूड़ी बेचने वाले इस शख्स ने कहा, ‘‘मुझे आखिरकार न्याय मिल गया है। मैं यही चाहता हूं कि इंदौर की गंगा-जमुनी तहजीब हमेशा कायम रहे।’’
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि नाबालिग स्कूली छात्रा ने तस्लीम के खिलाफ 22 अगस्त 2021 को शहर के बाणगंगा थाने में इस आरोप में मामला दर्ज कराया कि वह अपना नाम "गोलू पिता मोहन सिंह" बताकर रविवार दोपहर चूड़ियां बेचने उसके घर आया था और ‘‘तुम कितनी सुंदर हो’’ कहते हुए बुरी नीयत से उसे छुआ था। अधिकारी ने प्राथमिकी के हवाले से बताया कि तस्लीम की थैली से दो अलग-अलग नाम वाले आधार कार्ड मिले थे।
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स्कूली छात्रा की शिकायत पर तस्लीम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने से पहले, सामाजिक और सियासी हलकों में उस कथित वीडियो को लेकर खूब बवाल मचा था जिसमें हिंदूवादी भीड़ में शामिल लोग इस चूड़ी विक्रेता को पीटते दिखाई दिए थे, जबकि वह उनसे छोड़ देने का आग्रह करता नजर आ रहा था।
इस घटना के बाद तस्लीम ने शहर के सेंट्रल कोतवाली थाने में इस आरोप को लेकर मामला दर्ज कराया था कि भीड़ में शामिल पांच-छह लोगों ने उसका नाम पूछा और जब उसने अपना नाम बताया, तो उन्होंने उसे पीटना शुरू कर दिया। तस्लीम के वकील शेख अलीम ने बताया कि उनके मुवक्किल से मारपीट का मामला फिलहाल जिला अदालत में विचाराधीन है।
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