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एमपी उपचुनाव: बीजेपी में नहीं चल रही सिंधिया की 'ब्रांड वैल्यू', पोस्टरों-बैनरों में छांटा कद

मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए प्रचार के जोर पकड़ते ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए ज्योतिरादित्य सिंधिया जबरदस्त दबाव में आ गए हैं। बीजेपी ने पार्टी के पोस्टरों बैनरों से उन्हें गायब कर दिया है, लेकिन इलाके की 16 सीटें जीतने का जिम्मा पकड़ा दिया है।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

मध्य प्रदेश में विधानसभा की 28 सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव के दौरान ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में चुनावी चर्चा ने एक नया मोड़ ले लिया है। इस इलाके के वोटर खुलेआम कहते सुने जा रहे हैं कि बीजेपी में महाराज यानी कांग्रेस छोड़कर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया की ब्रांड वैल्यू नीचे आ रही है। इसका जीता जागता सबूत बीजेपी के डिजिटल विज्ञापनन पोस्टरों से सजी वह गाड़िया हैं जिनमें पार्टी के स्टार प्रचारकों में सिंधिया नदारद है। इन पोस्टरों में सिर्फ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी के मध्य प्रदेश अध्यक्ष वी जी शर्मा के चेहरे हैं। इतना ही नहीं इन पर लिखे नारे भी कहते हैं कि, “शिवराज है तो विश्वास है...”

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वैसे यह पहला मौका नहीं है जब सिंधिया घराने के युवराज को बीजेपी ने हाशिए पर धकेला या आम बोचाल में कहें तो साइडलाइन किया है। जब से सिंधिया कांग्रेस छोड़कर अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में आए हैं तब से ही पार्टी नेता सार्वजनिक तौर पर बीजेपी के असली कार्यकर्ताओं की अनदेखी की बातें कर रहे हैं।

इंदौर के सांवेर इलाके में जहां से सिंधिया के करीबी तुलसी सिलावत चुनाव मैदान में हैं, वहां भी लगे होर्डिंग में प्रमुख तौर पर पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का ही चेहरा है, सिंधिया को पार्टी के जूनियर नेताओं और स्थानीय विधायक कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश के साथ जगह मिली है। इस होर्डिंग से सिंधिया समर्थक जले-भुने बैठे हैं।

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यूं भी मध्य प्रदेश में बीजेपी के 30 स्टार प्रचारकों की सूची में सिंधिया 10वें नंबर पर हैं। जबकि अनजान से बीजेपी नेता पार्टी उपाध्यक्ष और पार्टी की अनुसूचित जाति सेल के प्रमुख दुष्यंत कुमार गौतम का नाम सिंधिया से आगे है। इनके अलावा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, थावर चंद गहलोत और धर्मेंद्र प्रधान के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का नाम भी ज्योतिरादित्य सिंधिया से आगे है। सूची में पार्टी के राज्य अध्यक्ष वी डी शर्मा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नंबर क्रमश: पहले और दूसरे नंबर पर है। इस सूची में चार दलित और दो आदिवासी नेता भी शामिल हैं।

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इस सूची के सामने आते ही कांग्रेस ने ताना भी मारा है कि जब सिंधा कांग्रेस में थे तो 2018 के विधानसभा चुनाव में वे पार्टी की चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष थे। लेकिन इसके जवाब में बीजेपी ने कहा है कि पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची वरिष्ठता और पार्टी में कद के आधार पर बनाई गई है। ध्यान रहे कि जिन लोगों ने सिंधिया की मदद से इस साल मार्च में कमलनाथ सरकार गिराई थी वे सिंधिया के महाराज कहकर बुलाते रहे हैं। कांग्रेस ने इस पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि सिंधिया ने अपने कद और राजनीतिक अहमियत को पलीता लगा लिया है।

पिछले साल के लोकसभा चुनाव में अपनी परंपरागत सीट गुना से हार का सामने करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया जबरदस्त दबाव में हैं क्योंकि उन पर इस इलाके की 16 सीटों पर बीजेपी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी है। हाल में वायरल हुए कुछ वीडियो में वे खुद महाराज कहते हुए देखे-सुने गए हैं। एक वीडियो में सिंधिया एक सभा को संबोधित कर रहे हैं जिसमें बहुत मामूली भीड़ है, वे कहते हैं यह चुनाव सिर्फ स्थानीय विधायक के लिए नहीं बल्कि महाराज की इज्जत के लिए है।

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दरअसल मध्य प्रदेश विधानसभा की 28 सीटों का उपचुनाव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच का युद्ध बन चुका है। दोनों ही नेता एक दूसरे पर तीखे राजनीतिक प्रहार कर रहे हैं। कांग्रेस ने खासतौर से सिंधिया को निशाने पर रखा है क्योंकि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र उनके प्रभाव वाला माना जाता रहा है। लेकिन बीजेपी ने उन्हें सीधे फायरिंग लाइन से अलग-थलग ही रखने में भलाई समझी है और इसका कारण पार्टी में अंदरखाने सिंधिया को लेकर पैदा नाराजगी है। पार्टी का मानना है कि उन अन्य 6 सीटों पर ज्यादा जोर दिया जाए जहां दलबदलू मैदान में नहीं हैं, इससे सिंधिया की लगाम कसी रखने में मदद मिलेगी।

लेकिन कांग्रेस की तरफ से कमलनाथ ने पूरे उपचुनाव की बागडोर संभाल रखी है। कांग्रेस को घोषणापत्र में सिर्फ पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और कमलनाथ को ही पेश किया गया है। पार्टी के दूसरे नेता दिग्विजय सिंह भी चुनावी सभाओं से दूर हैं और वह पर्दे के पीछे रहकर रणनीति बनाने का काम कर रहे हैं।

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