जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद उत्पन्न स्थिति पर चर्चा के लिए विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया है। यह सत्र सोमवार सुबह 10:30 बजे जम्मू में आयोजित होगा। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 18(1) के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए यह आदेश जारी किया।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने एक आदेश में कहा, "मैं मनोज सिन्हा, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 18(1) के तहत मुझे प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जम्मू में 28 अप्रैल सोमवार सुबह 10:30 बजे जम्मू-कश्मीर विधानसभा की बैठक आहूत करता हूं।"
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अधिकारियों के अनुसार, पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा, क्षेत्रीय स्थिरता और अन्य संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए यह विशेष सत्र बुलाया गया है। जम्मू-कश्मीर मंत्रिमंडल ने बुधवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में हुई बैठक में उपराज्यपाल को यह सत्र आहूत करने की सलाह दी थी। मंत्रिमंडल ने इस हमले को क्षेत्रीय शांति के लिए गंभीर खतरा करार देते हुए त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी, जिसके बाद देशभर में आक्रोश की लहर दौड़ गई। जनता ने पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है। इस हमले के जवाब में भारत सरकार ने कई बड़े कदम उठाए हैं। सरकार ने सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया है, जो दोनों देशों के बीच जल संसाधनों के बंटवारे का महत्वपूर्ण समझौता था। इसके अलावा, भारत ने शॉर्ट टर्म वीजा पर आए पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल तक देश छोड़ने का आदेश दिया था।
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साथ ही, अटारी सीमा के रास्ते होने वाले व्यापार को भी रोक दिया गया है। पाकिस्तान के उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या को भी सीमित करने का फैसला लिया गया। पाकिस्तानी नागरिकों के लिए भारत छोड़ने की समय सीमा रविवार को समाप्त हो गई। इस आदेश के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों का अपने देश लौटने का सिलसिला जारी है। आंकड़ों के अनुसार, अमृतसर के अटारी बॉर्डर के रास्ते अब तक 537 पाकिस्तानी नागरिक अपने वतन लौट चुके हैं। दूसरी ओर, पाकिस्तान में रह रहे 1387 भारतीय नागरिक भी भारत वापस आ चुके हैं।
पहलगाम हमले ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को और तनावपूर्ण बना दिया है। केंद्र सरकार ने इस हमले को आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो-टॉलरेंस नीति के तहत गंभीरता से लिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि विधानसभा का यह विशेष सत्र न केवल हमले के बाद की स्थिति पर चर्चा करेगा, बल्कि क्षेत्र में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालिक रणनीतियों पर भी विचार-विमर्श करेगा।
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उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने विधानसभा सत्र के दौरान सभी दलों से रचनात्मक सहयोग की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह समय एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने का है। सत्र में आतंकी हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के साथ-साथ क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के उपायों पर भी चर्चा होने की संभावना है।
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