लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत कल यानी 19 अप्रैल को 21 राज्यों की 102 सीटों पर मतदान होगा। इस बार के चुनाव में सबकी नजर नॉर्थ ईस्ट पर टिकी है। असम में सीएए को लेकर लंबे समय से सियासी उथल-पुथव मची हुई है। वहीं, मणिपुर में भी लंबे समय से हिंसा का दौर जारी है। हिंसा का असर नॉर्थ ईस्ट की 11 सीटों पर देखने को मिल सकता है।
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पहले चरण में असम की कुल 14 लोकसभा सीटो में से 5 सीटों पर भी वोट डाले जाएंगे। पहले चरण में असम में जोरहाट लोकसभा सीट पर सभी की निगाहे हैं। फिलहाल यह सीट दूसरी बार सांसद बने तपन गोगोई के पास है। लेकिन अब कांग्रेस ने एक हाई-प्रोफाइल उम्मीदवार और लोकसभा में अपने उपनेता गौरव गोगोई को यहां से चुनाव मैदान में उतारा है। गौरव गोगोई तीन बार के दिवंगत मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के बेटे हैं। इस सीट का अहमियत इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां पर चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री से लेकर कई कैबिनेट मंत्री डेरा डाले हुए थे।
बीते साल हुए परिसीमन के बाद यह पहला चुनाव है। मुख्यमंत्री बिस्व सरमा मानते हैं कि स्थानीय समुदायों को इससे निर्णायक राजनीतिक भूमिका मिलेगी। परिसीमन का सबसे ज्यादा असर कांग्रेस के गौरव गोगोई को हुआ। उनकी कलियाबोर सीट ही खत्म हो गई। चुनाव लड़ने उन्हें जोरहाट जाना पड़ा। सिलचर सामान्य से एससी सीट हो गई। तेजपुर का नाम सोनितपुर कर दिया गया है।
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जोरहाट सीट कांग्रेस का गढ़ था, लेकिन साल 2014 के बाद से बीजेपी इस सीट पर दो बार से जीत हासिल कर रही है। यह सीट 10 विधानसभा सीटों को कवर करता है। यहां अहोम समुदाय के लोगों की ज्यादा आबादी है। ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के पूर्व महासचिव तपन और गौरव गोगोई दोनों अहोम समुदाय से आते हैं। इस सीट पर कुल 17 लाख मतदाताओं में से करीब 32 फीसदी अहोम समुदाय के लोग हैं। इस सीट का परिणाम तय करने में यह समुदाय अहम भूमिका निभाने वाला है।
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असम के डिब्रूगढ़ सीट से केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल चुनावी मैदान में हैं। इससे पहले इस सीट से केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली सांसद थे। उनका टिकट काटकर सोनोवाल को दिया गया है।
वहीं, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय की कुल 2-2 लोकसभा सीटों भी 19 अप्रैल को वोटिंग होगी। इसके अलावा नागालैंड, मिजोरम और सिक्किम की एक-एक सीट पर भी 19 अप्रैल को ही वोट डाले जाएंगे। पहले चरण में मणिपुर के आंतरिक और बाहरी दोनों निर्वाचन क्षेत्रों सहित लगभग आधे निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान होगा। मणिपुर लंबे समय से हिंसा से झुलस रहा है। ऐसे में सभी की निगाहें मणिपुर पर टिकी हुई हैं। देखना यह है कि हिंसा प्रभावित मणिपुर में जनता किसके हक में फैसला सुनाती है।
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अरुणाचल प्रदेश की अरुणाचल पश्चिमी सीट से केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू चुनाव मैदान में हैं। 2004 से सांसद बन रहे। लेकिन उन्हें 2009 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद रिजूजू ने 2014 के चुनाव में जीत दर्ज की। किरेन रिजिजू तीन बार इस सीट से चुनाव जीत चुके है। इस एक बार फिर वो चुनावी मैदान में हैं और उनका मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवाब तुकी से है।
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