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मध्य प्रदेशः कोरोना काल में बेलगाम हुई नौकरशाही, 'शिवराज' में मनमर्जी के मालिक हुए सेवक

शिवराज सरकार के कोरोना के खिलाफ हर स्तर पर लड़ाई के दावे के बावजूद सुधार धीमी है, जिसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ रहा है। ऐसे में कई नौकरशाहों ने इंसानियत और मानवता का परिचय देने की बजाय अपने रुतबे और अधिकारों को ज्यादा अहमियत देते हुए अपनी हदें पार कर दीं

फाइल फोटोः IANS
फाइल फोटोः IANS 

मध्य प्रदेश में कोरोना काल में जहां एक तरफ सरकारी अव्यवस्थाओं की तस्वीर सामने आई, तो वहीं दूसरी ओर नौकरशाह मनमर्जी से शासन चलाने में हिचक नहीं रहे हैं। विपत्ति के काल में भी कई ऐसे नौकरशाहों के चेहरे बेनकाब हुए हैं जिन्होंने मानवता और इंसानियत को ठोकर मारने में गुरेज नहीं किया है। ऐसे नौकरशाहों पर राज्य सरकार कार्रवाई करेगी, यह बड़ा सवाल बना हुआ है।

राज्य में कोरोना के खिलाफ शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार हर स्तर पर लड़ाई लड़ने का दावा कर रही है, साथ ही व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का भी अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन रफ्तार बहुत धीमी है, जिसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ रहा है। ऐसे में कई नौकरशाहों ने इंसानियत और मानवता का परिचय देने की बजाय अपने रुतबे और अधिकारों को ज्यादा अहमियत देते हुए अपनी हदें पार कर दीं।

ताजा मामला खंडवा में सामने आया, जहां के कलेक्टर अनय द्विवेदी ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर जिला जनसंपर्क अधिकारी बृजेश शर्मा का ही तबादला कर दिया है। कहा जा रहा है कि इस तबादले के पीछे की वजह यह है कि जनसंपर्क अधिकारी प्रशासन की मर्जी के मुताबिक समाचार माध्यमों में समाचारों का प्रकाशन नहीं करा पाए और उसकी सजा तबादले के तौर पर उन्हें मिली।

यहां बात यह भी है कि कलेक्टर ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर जो कृत्य किया, उस पर सवाल उठाए जाने की बजाय इंदौर के संभाग आयुक्त डॉ. पवन शर्मा ने तो जनसंपर्क अधिकारी को ही निलंबित कर दिया। इतना ही नहीं सरकार अब तक इस मामले में मौन बनी हुई है। वहीं जनसंपर्क विभाग के अधिकारी ताल ठोकने की तैयारी में हैं। यहां बता दें कि जनसंपर्क विभाग का जिम्मा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ही पास है।

खंडवा कलेक्टर की कार्रवाई पर जनसंपर्क विभाग के सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी लाजपत आहूजा ने सोशल मीडिया पर तल्ख टिप्पणी करते हुए लिखा है, "वे अधिकारी नासमझ हैं जो यह सोचते हैं कि जिलों में जनसंपर्क अधिकारियों की पदस्थापना मीडिया को दबाने के लिए की गई है।"

इतना ही नहीं शाजापुर में तो अपर कलेक्टर मंजूशा विक्रांत राय ने तो दुकान खुले होने पर एक बच्चे को ही तमाचा जड़ दिया। उनके साथ वहां मौके पर मौजूद पुलिस जवान ने अपने अफसर की देखा देखी बच्चे पर लाठी भी बरसाई। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

अब बात करते हैं नीमच जिले की जहां कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने लॉकडाउन के दौरान दुकान, बाजार, सब्जी मंडी को तो बंद कराया ही है, साथ में घरों में किराना सामग्री की होम डिलीवरी को भी बंद करा दिया है। इससे कोरोना के संक्रमण को रोकने के नाम पर आमजन को प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है। वहीं, छतरपुर में नायब तहसीलदार अंजू लोधी ने भी दुकानदारों पर मनमाने जुर्माने ठोके हैं। चाय की दुकान खुलने पर तीन हजार तो वहीं अन्य कारोबारियों पर 5 से 25 हजार तक का जुर्माना लगाया गया है। इससे यहां के व्यापारी जगत में खासी नाराजगी है।

बेलगाम होती सरकारी मशीनरी पर लोगों ने आपत्ति भी दर्ज कराई है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव का कहना है कि प्रदेश में अफसरशाही हावी होती चली जा रही है, अब गुंडागर्दी पर उतारू है, क्योंकि उन्हें किसी का डर नहीं है, अफसरों की बेखौफ तानाशाही जारी है। शिवराज सिंह जी अब आंखे बंद क्यों हैं ? कल छत्तीसगढ़ की घटना पर बोलने वाले अब राजगढ़, खण्डवा, शाजापुर की घटनाओं पर चुप क्यों हैं ?

आमजन से लेकर राजनीतिक दल और सत्ता पक्ष के लेागों को भी इस बात का इंतजार है कि जो अधिकारी मनमर्जी कर रहे हैं उनके खिलाफ सरकार कोई कार्रवाई करेगी।

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