
मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बीजेपी सरकार पर बड़ा हमला बोला है और कहा कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं वेंटिलेटर पर हैं। उन्होंने कहा कि जिस राज्य में दवा जहर बन रही हो, मासूम बच्चों को एचआईवी विषाक्त खून चढ़ाया जा रहा हो, नवजातों को चूहे कुतर रहे हों और अस्पतालों के आईसीयू में आग लगती हो, वहां सरकार की चुप्पी संवेदनहीनता को उजागर करती है।
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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि बीजेपी सरकार के दो वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन प्रदेश के विजन और अपने ही वचन पत्र की अधूरी गारंटियों पर चर्चा करने के बजाय सरकार जनता को गुमराह करने में लगी है। पटवारी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा के मध्य प्रदेश दौरे को लेकर उनका स्वागत करते हुए प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था पर पांच सवाल पूछे हैं।
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उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों में निजी भागीदारी क्यों की जा रही है? छिंदवाड़ा में कफ सिरप से मासूम बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन है? इंदौर के शासकीय अस्पताल में बच्चों को चूहों द्वारा कुतरने जैसी अमानवीय घटनाएं क्यों हो रही हैं? साइंस हाउस घोटाले में लाखों फर्जी जांच कर सरकारी धन की लूट कैसे की गई? मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी क्यों है?
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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जिस राज्य में दवा जहर बन रही हो, मासूम बच्चों को एचआईवी विषाक्त खून चढ़ाया जा रहा हो, नवजातों को चूहे कुतर रहे हों और अस्पतालों के आईसीयू में आग लगती हो, वहां स्वास्थ्य मंत्री की चुप्पी सरकार की संवेदनहीनता को उजागर करती है। उन्होंने कहा कि यदि 23,535 करोड़ रुपये के स्वास्थ्य बजट को ईमानदारी और पारदर्शिता से खर्च किया जाए, तो मध्य प्रदेश के हर नागरिक का इलाज मुफ्त संभव है, लेकिन बीजेपी सरकार की लापरवाही और भ्रष्टाचार अब छोटे-छोटे बच्चों की जान ले रहे हैं।
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पटवारी ने मुख्यमंत्री मोहन यादव पर तंज कसते हुए कहा कि दो वर्ष पूरे होने के बाद भी सरकार यह बताने में व्यस्त है कि मुख्यमंत्री के बंगले में कौन रहता है और कौन नहीं, जबकि प्रदेश की 8 करोड़ जनता को इससे कोई सरोकार नहीं है। जनता को इलाज, इंसाफ़ और सुरक्षा चाहिए, इमारतें और प्रचार नहीं। पटवारी ने कहा कि मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अघोषित आपातकाल जैसे हालात बन चुके हैं। जनता उम्मीदें छोड़ चुकी है, लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकार अब चूहों पर भी नियंत्रण नहीं रख पा रही? यदि व्यवस्था नहीं संभल सकती, तो सरकार को जवाबदेही तय करनी होगी।
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