
महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर जिले के एक किसान ने बुधवार को दावा किया कि भारी बारिश और उसके बाद आई बाढ़ के कारण फसल को हुए नुकसान के लिए देवेंद्र फडणवीस सरकार से उसे केवल छह रुपये का मुआवजा मिला है। पैठण तालुका के दावरवाड़ी गांव के निवासी किसान दिगंबर सुधाकर तांगडे ने कहा कि सरकार को इतना कम भुगतान करने में शर्म आनी चाहिए। यह रकम एक कप चाय खरीदने के लिए भी पर्याप्त नहीं है। सरकार ने किसानों के साथ बहुत बड़ा मज़ाक किया है।
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तांगडे ने पैठण के नांदर गांव में शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के दौरे से इतर मीडिया से बात की। ठाकरे मराठवाड़ा क्षेत्र के दौरे के तहत किसानों से बातचीत कर रहे हैं। वहीं सुधाकर तांगडे ने कहा, "मेरे पास सिर्फ दो एकड़ जमीन है। मुझे मैसेज आया कि मेरे बैंक खाते में छह रुपये जमा हो गए हैं। सरकार को इतना कम भुगतान करने में शर्म आनी चाहिए। यह रकम एक कप चाय खरीदने के लिए भी पर्याप्त नहीं है। सरकार ने किसानों के साथ बहुत बड़ा मज़ाक किया है।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘हम कर्ज माफी चाहते हैं और सरकार का मेरे खाते में छह रुपये जमा करना किसानों के साथ मजाक है। हमारा राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन कम से कम (पूर्व मुख्यमंत्री) उद्धव ठाकरे ने अपने कार्यकाल में कर्ज माफी तो की। इस सरकार ने भी पहले इसकी घोषणा की थी, लेकिन कुछ नहीं किया।" उन्होंने कहा, "लोग पिछले दो महीनों से मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं। अब वे इतनी छोटी रकम भेज रहे हैं।"
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इससे पहले राज्य के अकोला जिले के कुछ गांवों के किसानों ने दावा किया कि भारी बारिश के कारण फसल को हुए नुकसान के लिए उन्हें केंद्रीय बीमा योजना के तहत मात्र तीन रुपये और 21 रुपये का मुआवजा मिला है। इन किसानों ने इस सहायता को "अपमानजनक" और उनकी दुर्दशा का "मजाक" बताया था। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत सहायता पाने वाले किसानों ने बाद में जिला कलेक्टर कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया और चेक के माध्यम से राशि वापस कर दी।
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राज्य के कुछ हिस्सों, विशेषकर मराठवाड़ा क्षेत्र के कुछ जिलों में किसानों को अगस्त-सितंबर में भारी बारिश और बाढ़ के कारण फसल का व्यापक नुकसान हुआ। राज्य सरकार ने पिछले महीने प्रभावित किसानों के लिए 31,628 करोड़ रुपये के मुआवजे के पैकेज की घोषणा की थी। इसमें फसल क्षति, मृदा अपरदन, घायलों के अस्पताल में भर्ती होने, परिजनों को अनुग्रह राशि, घरों, दुकानों और पशुशालाओं को हुए नुकसान आदि के लिए मुआवजा शामिल है। लेकिन अब किसानों को मिल रहे मुआवजे ने सरकार के पैकेज पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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