महाराष्ट्र में विपक्षी दलों ने व्यापक भ्रष्टाचार, अलोकप्रिय नीतियों और धन के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए विधानमंडल के मानसून सत्र की पूर्व संध्या पर रविवार को राज्य सरकार के पारंपरिक जलपान कार्यक्रम का बहिष्कार किया।
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विधानपरिषद में विपक्ष के नेता और शिवसेना (उबाठा) के अंबादास दानवे ने इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए कहा कि बहिष्कार एक ‘‘बेईमान सरकार’’ के खिलाफ विरोध का प्रतीक है।
उन्होंने कहा, ‘‘शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे के जबरन क्रियान्वयन से लेकर एमएसआरटीसी को बसें उपलब्ध कराने में विफलता, निजी ठेकेदारों को बकाया भुगतान न करना और पुणे में वैशाली हगावने (दहेज उत्पीड़न-आत्महत्या) मामले में अन्याय को लेकर इस सरकार ने सहयोग मांगने का नैतिक अधिकार खो दिया है। हम उस सरकार से क्यों मिलें जो पहली कक्षा से तीसरी भाषा (हिंदी) थोप रही है।’’
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शिवसेना (उबाठा) नेता और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने स्कूल दाखिले में ‘‘भ्रष्टाचार’’ के लिए देवेंद्र फडणवीस नीत महायुति सरकार पर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘11वीं कक्षा में दाखिले के लिए पहली सूची भ्रष्टाचार से भरी हुई प्रतीत होती है। यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे इसमें शामिल हो सकते हैं।’’
कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने एक सभा में पूर्व बीजेपी मंत्री बबनराव लोणीकर के आपत्तिजनक बयान की ओर इशारा किया।
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लोणीकर ने बीजेपी नीत सरकार के आलोचकों पर निशाना साधते हुए दावा किया था कि वे जो कपड़े पहन रहे हैं और जीवन में जो अन्य सुख-सुविधाएं प्राप्त कर रहे हैं, वे उन्हें सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा दी गई हैं।
वडेट्टीवार ने आरोप लगाया, ‘‘यह सरकार लोगों की समस्याओं के प्रति उदासीन है। महायुति के तीनों घटक दल, अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिए आपस में लड़ रहे हैं। उनका ध्यान सार्वजनिक संसाधनों को हड़पने पर अधिक है।’’
महाराष्ट्र विधानमंडल का मानसून सत्र 30 जून से 18 जुलाई तक होगा।
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