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महाराष्ट्र में 'द बीजेपी फाइल्स' की तैयारी, उद्धव ठाकरे ने किया खुला ऐलान-ए-जंग, कहा- जेल से ही करुंगा कंस का अंत

मुख्यमंत्री ठाकरे ने बजट सत्र के आखिरी दिन साफ संदेश दे दिया कि अगर सत्ता पाने की लालच में बीजेपी उन्हें जेल भेजना चाहती है, तो उन्हें जेल में डाल दिया जाए लेकिन वह कृष्ण के रूप में जन्म लेकर कंस (बीजेपी) का खात्मा जरूर करेंगे।

फाइल फोटो
फाइल फोटो 

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी सरकार को पिछले दो साल से केंद्रीय एजेंसियों की मदद से अस्थिर करने की लगातार कोशिशें चल रही हैं। अब जैसे को तैसा वाले अंदाज में बीजेपी को जवाब देने की तैयारी की जा रही है। मुख्यमंत्री ठाकरे ने बजट सत्र के आखिरी दिन साफ संदेश दे दिया कि अगर सत्ता पाने की लालच में बीजेपी उन्हें जेल भेजना चाहती है, तो उन्हें जेल में डाल दिया जाए लेकिन वह कृष्ण के रूप में जन्म लेकर कंस (बीजेपी) का खात्मा जरूर करेंगे।

ठाकरे एक्शन मोड में हैं, हालांकि वह स्वभाव से शांत और सुलझे हुए हैं तथा कम बोलते हैं। बीजेपी के साथ उनकी पार्टी शिवसेना का 25 साल पुराना रिश्ता रहा है। लेकिन बीजेपी ने जब दगाबाजी की, तो शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर आघाड़ी सरकार बनाई। इससे बीजेपी नेतृत्व खफा हो गया। वह ठाकरे सरकार को अस्थिर करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों की मदद ले रही है। इन एजेंसियों के बल पर ठाकरे मंत्रिमंडल के दो मंत्रियों- अनिल देशमुख और नवाब मलिक को अलग-अलग मामलों में जेल भिजवा दिया गया है। इसके बाद ठाकरे के एक रिश्तेदार को भी ईडी की ओर से परेशान किया जा रहा है। वैसे, माना यही जा रहा है कि ईडी, इनकम टैक्स और सीबीआई तक ये फाइलें फडणवीस, किरीट सोमैया, प्रवीण दरेकर, मोहित कंबोज और नारायण राणे ने पहुंचाई है और उनके आधार पर ही केंद्रीय एजेंसियां हरकत में हैं।

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चूंकि स्पष्ट है कि हताशा में बीजेपी नेतृत्व इस तरह के कदम उठा रहा है इसलिए आघाड़ी सरकार में शामिल दलों ने भी अब मजबूरी में कुछ कदम उठाने का फैसला किया है और वह भी तब जब केंद्र सरकार चुनिंदा कार्रवाई ही करने को उत्सुक है। दरअसल, शिवसेना नेता संजय राउत ने कुछ दस्तावेज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे। उन्हें उम्मीद थी कि ईमानदारी का दावा करने वाले मोदी अपनी पार्टी के नेताओं के खिलाफ भी एक्शन लेंगे। लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। राउत पहले ही फडणवीस सरकार में 25 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगा चुके हैं।

ठाकरे सरकार ने जो कार्रवाई शुरू की है, उनमें से दो मामलों में फडणवीस अभी ही घिरते नजर आ रहे हैं। एक तो उनकी महत्वाकांक्षी योजना- जलयुक्त शिवार है। इस योजना के तहत पूरे किए गए 71 प्रतिशत कार्यों में वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताएं मिल रही हैं। दूसरा मामला फोन टैपिंग का है। इस मामले में फडणवीस के खिलाफ ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत केस दर्ज है और मुंबई पुलिस की साइबर यूनिट ने फडणवीस के सरकारी बंगले पर जाकर उनका बयान दर्ज किया है। पुलिस जांच कर रही है कि आखिर खुफिया विभाग का डाटा बाहर कैसे आया? फोन टैपिंग मामले में आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला का भी बयान दर्ज किया गया है। उन पर गैरकानूनी तरीके से नेताओं के फोन टैप करने का आरोप है।

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उधर, संजय राउत ने किरीट सोमैया और उनके बेटे नील सोमैया के पीएमसी बैंक घोटाले के एक आरोपी राकेश बाधवान से संबंध को उजागर किया है। बीजेपी नेता मोहित कंबोज को नवाब मलिक ने आर्यन खान के अपहरण और फिरौती मामले का मास्टरमाइंड बताया था। मोहित के सांताक्रूज स्थित फ्लैटों में अवैध कामों को लेकर बीएमसी ने नोटिस भेजा है। दिशा सालियान मौत के मामले में दिए बयान को लेकर केंद्रीय मंत्री नारायण राणे और उनके बेटे नितेश राणे से मालवणी पुलिस ने नौ घंटे तक पूछताछ की। दिशा सालियान टीवी और फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मैनेजर रही थीं और उन्होंने आत्महत्या कर ली थी। हालांकि शव का पोस्टमार्टम भी किया गया था, फिर भी किसी तथ्य के बिना ही राणे पिता-पुत्र ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि आत्महत्या से पहले दिशा के साथ बलात्कार किया गया था। इस पर दिशा के माता-पिता ने भी आपत्ति जताई थी।

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वैसे, बीजेपी के पुराने आरोप ही अब उसके नेताओं को परेशान कर रहे हैं। विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर पहले मनसे में थे। तब बीजेपी ने उन पर मुंबई बैंक में 200 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया था। बाद में वह बीजेपी में आ गए तो पार्टी को वे आरोप याद नहीं आ रहे। लेकिन उन्होंने जो विवरण दर्ज कराया है, उससे ही पता चलता है कि उन्होंने पहले मजदूर रहने का गलत दावा किया है। एमआरए मार्ग पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले के मुताबिक, दरेकर ने मुंबई बैंक में फर्जी मजदूर बनकर चुनाव लड़ा और डायरेक्टर और अध्यक्ष पद पर कई सालों तक रहे और इस दौरान करोड़ों रुपये के घोटाले हुए। पुलिस इसकी जांच कर रही है।

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इसी तरह, किरीट सोमैया ने 2017 में नारायण राणे की कथित सात कंपनियों का कच्चा चिट्ठा ईडी को सौंपा था जिस पर जांच भी शुरू हुई थी। लेकिन 2019 में उनके बीजेपी में शामिल होते ही किरीट और ईडी- दोनों ही उस मामले को भूल गए। किरीट ने ही राज्य के पूर्व गृह राज्यमंत्री और उत्तर भारतीय नेता कृपाशंकर सिंह के खिलाफ पद का दुरुपयोग करते हुए भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। सिंह पर 300 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति अवैध ढंग से इकट्ठा करने का मामला भी चला। लेकिन 2016 में फडणवीस शासनकाल के दौरान उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया। इसके बाद सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया। लेकिन आघाड़ी सरकार अब इसके साथ कई और मामलों की जांच करा रही है।

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