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क्या हिलसा और संदेश-मिष्ठी दोई को भी रिफ्यूजी ठहरा देगी बीजेपी: ममता ने बताया बीजेपी को बंगाली विरोधी

क्या हिलसा मछली, जामदानी साड़ी और बंगाली मिठाई संदेश को रिफ्यूजी मानेगी बीजेपी? यह सवाल पूछा है पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने। उन्होंने बीजेपी पर बंगाली विरोधी होने का आरोप लगाते हुए असम के एनआरसी की मुखालफत की।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की फाइल फोटो

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने बीजेपी को बंगाली विरोधी होने संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि जिस तरह बीजेपी एनआरसी के नाम पर बंगालियों और बांग्ला संस्कृति का विरोध कर रही है, उससे लगता है बीजेपी हिलसा मछली, जामदानी साड़ी, संदेश और मिष्ठी दोई को भी रिफ्यूजी करार दे देगी। गौरतलब है कि ये सारी वस्तुएं मूलत: बांग्लादेश की हैं और पश्चिम बंगाल और अन्यत्र बंगालियों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। संदेश और मिष्ठी दोई तो बंगाल की प्रसिद्ध मिठाई है।

ममता बनर्जी ने असम के एनआरसी के अंतिम मसौदे में 40 लाख से ज्यादा लोगों के नाम न होने पर केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार पर हमला तेज करते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि, ‘‘40 लाख लोग पूरी तरह भारतीय हैं।’’ ममता बनर्जी ने उन मानदंडों पर भी सवाल उठाए जिसके आधार पर 40 लाख से ज्यादा लोगों के नाम एनआरसी के अंतिम मसौदे में शामिल नहीं किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि यदि सरकार उनसे उनके माता-पिता के जन्म प्रमाण-पत्र मांगेगी तो वह भी इन दस्तावेजों को पेश नहीं कर पाएंगी। ममता ने कहा, ‘‘मैं अपने माता-पिता के जन्म की तारीखें नहीं जानती। मैं सिर्फ उनकी मृत्यु की तारीखें जानती हूं। मैं उनके जन्म की तारीख वाले कोई दस्तावेज पेश नहीं कर पाऊंगी। ऐसे मामलों को लेकर एक स्पष्ट व्यवस्था होनी चाहिए। आप आम लोगों को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते।’’

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘देश में नाइंसाफी हो रही है। अपनी चरमपंथी विचारधारा के साथ बीजेपी लोगों को बांटने की कोशिश कर रही है। मेरा मानना है कि वे देशवासियों के बीच बदले की राजनीति कर रही है. हम ऐसी राजनीति के पक्ष में नहीं हैं।’’

ममता ने कहा, ‘‘बीजेपी को नहीं भूलना चाहिए कि बंगाली बोलना अपराध नहीं है। यह दुनिया में बोली जाने वाली पांचवीं सबसे बड़ी भाषा है। बीजेपी को बंगाल से क्या दिक्कत है? क्या वह बंगालियों और उनकी संस्कृति से डरी हुई है? उन्हें नहीं भूलना चाहिए कि बंगाल देश का सांस्कृतिक मक्का है।”

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