
मायावती ने मंगलवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हमारी पार्टी का सुझाव है कि चुनाव के दौरान और बाद में ईवीएम से जुड़ी अनियमितताओं की लगातार आ रही शिकायतों को दूर करने और चुनावी प्रक्रिया में पूर्ण विश्वास बहाल करने के लिए, ईवीएम के माध्यम से मतदान की प्रणाली को पारंपरिक मतपत्र प्रणाली से बदल दिया जाना चाहिए।’’
Published: undefined
उन्होंने कहा, ‘‘अगर किसी वजह से ऐसा अभी नहीं किया जा सकता है, तो कम से कम मतदान के दौरान ‘वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) मशीन के बॉक्स में गिरने वाली पर्चियों की गिनती सभी मतदान केंद्रों पर की जानी चाहिए और उनका मिलान ईवीएम के जरिये पड़े वोटों से किया जाना चाहिए।’’
मायावती ने कहा कि ऐसा ना करने के पीछे बहुत अधिक समय लगने का जो कारण निर्वाचन आयोग द्वारा बताया गया है वह बिल्कुल भी उचित नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘मतगणना के लिए कुछ अतिरिक्त घंटे लगना चिंता का विषय नहीं होना चाहिए, खासकर यह देखते हुए कि पूरी चुनाव प्रक्रिया कई महीनों तक चलती है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे चुनावी प्रक्रिया में जनता का विश्वास बढ़ेगा और उत्पन्न होने वाली अनेक शंकाएं और आशंकाएं समाप्त होंगी, जो अंततः राष्ट्र के हित में होगा।’’
Published: undefined
मायावती ने मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण अभियान (एसआईआर) की समयसीमा बढ़ाने की भी मांग की। मायावती ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि संसद में आज से चुनाव सुधार को लेकर चर्चा शुरू हुई है, ऐसे में बीएसपी का मानना है कि चुनाव प्रक्रिया में अन्य सुधारों के साथ तीन विशेष सुधार लाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि एसआईआर को लेकर जो व्यवस्था पूरे देश में लागू है, बीएसपी उसके विरोध में नहीं है, लेकिन मतदाता सूची में नाम जोड़ने की प्रक्रिया के लिए निर्धारित समय बहुत कम है।
मायावती ने कहा कि कम समय के कारण बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) पर भारी दबाव है और काम के बोझ की वजह से कई बीएलओ अपनी जान भी गंवा चुके हैं। उन्होंने कहा कि करोड़ों मतदाताओं वाले राज्यों में उन्हें पर्याप्त समय मिलना चाहिए, खासकर उन राज्यों में जहां निकट भविष्य में कोई चुनाव नहीं है।
Published: undefined
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में लगभग 15.40 करोड़ से अधिक मतदाता हैं ऐसे में अगर वहां एसआईआर का काम जल्दबाजी में पूरा करने का प्रयास किया गया तो अनेक वैध मतदाताओं, विशेषकर गरीब और काम की तलाश में बाहर गए लोगों के नाम मतदाता सूची से छूट सकते हैं।मायावती ने कहा कि इससे बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा दिए गए मतदान के संवैधानिक अधिकार से वंचित करने जैसी स्थिति पैदा होगी, जो पूरी तरह अनुचित है। उन्होंने कहा कि इसलिए एसआईआर की प्रक्रिया में जल्दबाजी न करते हुए उचित समय दिया जाना चाहिए और वर्तमान समयसीमा को बढ़ाया जाना चाहिए।
Published: undefined
मायावती ने आपराधिक मामलों के खुलासे से जुड़े सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार प्रत्याशी को अपने आपराधिक इतिहास का पूरा विवरण हलफनामे और स्थानीय अखबारों में प्रकाशित करना होता है, जबकि पार्टी को भी वही जानकारी राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित करने की ज़िम्मेदारी दी गई है।
उन्होंने कहा कि कई बार प्रत्याशी अपना आपराधिक इतिहास पार्टी से छुपा लेते हैं और यह जानकारी स्क्रूटनी के दौरान सामने आती है, जिससे अनावश्यक दायित्व पार्टी पर आ जाता है। पार्टी ने सुझाव दिया है कि आपराधिक मामलों के संबंध में सभी औपचारिकताओं की जिम्मेदारी सीधे प्रत्याशी पर ही डाली जानी चाहिए, न कि राजनीतिक दलों पर। अगर कोई प्रत्याशी अपने आपराधिक मामले छुपाता है, तो उससे जुड़ी सभी कानूनी जिम्मेदारियां भी उसी पर तय हों, पार्टी पर नहीं।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined