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'जी राम जी योजना' के नाम से जाना जाएगा मनरेगा, मजदूरी का भुगतान अब राज्यों को भी करना होगा, जानिए 5 बड़े अंतर

बिल के मसौदे के मुताबिक इस बिल का मकसद मौजूदा संसद सत्र में विकसित भारत-रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) यानी वीबी जी राम जी बिल 2025 पेश कर 2005 के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को खत्म करना है।

Getty Images
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केंद्र की मोदी सरकार मनरेगा यानी महात्मा गांधी नेशनल रूरल इम्पलाएयमेंट गारंटी एक्ट या योजना का नाम बदलकर वीबी जी राम जी योजना करने वाली है। मनरेगा का नाम बदलकर अब विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) कर दिया जाएगा। इस बाबत संसद के मौजूदा शीत सत्र में ही इस बिल का मसौदा सोमवार को लोकसभा सदस्यों के बीच सर्कुलेट किया गया। अगर यह बिल पास हो जाता है तो मौजूदा कानून की जगह नया कानून लागू हो जाएगा। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि सरकार ने देश की प्रमुख रोज़गार योजना मनरेगा को खत्म करने और उसकी जगह नया ग्रामीण रोजगार कानून लाने का फैसला किया है।

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बिल के मसौदे के मुताबिक इस बिल का मकसद मौजूदा संसद सत्र में विकसित भारत-रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) यानी वीबी जी राम जी बिल 2025 पेश कर 2005 के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को खत्म करना है। नए बिल में कहा गया है कि इसका उद्देश्य ‘विकसित भारत 2047’ के राष्ट्रीय विजन के अनुरूप ग्रामीण विकास का नया ढांचा तैयार करना है। इसके तहत मौजूदा काम के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 दिन कर दी जाएगी।

बिल में दर्ज नए कानून के उद्देश्यों के मुताबिक, पिछले 20 वर्षों में मनरेगा ने ग्रामीण परिवारों को रोजगार दिया, लेकिन गांवों में हुए सामाजिक-आर्थिक बदलावों को देखते हुए इसे और मजबूत करना जरूरी है। दावा किया गया है कि नए कानून के तहत हर ग्रामीण परिवार को, जो बिना कौशल वाला काम करने को तैयार हो, हर साल 125 दिन का वेतनयुक्त रोजगार मिलेगा और इसका मकसद विकसित भारत 2047 के लक्ष्य के अनुरूप गांवों का समग्र विकास करना है।

बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू हुआ था और 19 दिसंबर को खत्म होगा।

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आइए जानते हैं कि मनरेगा और विकसित भारत जी राम जी योजना में क्या-क्या अंतर हैं:

1. रोजगार के दिनों की संख्या में इजाफा

नए कानून के तहत हर ग्रामीण परिवार को, जो बिना कौशल वाला काम करने को तैयार हो, हर साल 125 दिन का वेतनयुक्त रोजगार मिलेगा। मौजूदा समय मनरेगा में एक वित्त वर्ष में 100 दिन के काम की गारंटी दी जाती है। नए एक्ट में ग्राम पंचायत योजनाओं को जरूरी किया गया है, जिसे खुद पंचायत ही तैयार करेगी। इसके अलावा इन्हें पीएम गति शक्ति जैसे सिस्टम से जोड़ा जाएगा।

2. फंडिंग का बोझ अब राज्यों पर भी होगा

वी बी जी राम जी बिल में इस योजना की फंडिंग के तौर-तरीकों में भी बदलाव का प्रस्ताव दिया गया है। मनरेगा के तहत जहां योजना का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाती थी, वहीं नई स्कीम में राज्यों को भी खर्च में हिस्सा देना होगा। इसके तहत पूर्वोत्तर राज्यों, हिमालयी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर) में योजना का 90 फीसदी केंद्र और 10 फीसदी खर्च राज्य सरकार उठाएंगी। वहीं, दूसरे राज्यों में 60 फीसदी केंद्र सरकार और 40 फीसदी खर्च राज्य सरकार उठाएंगी। जिन केंद्र शासित राज्यों में विधानसभा नहीं हैं, वहां का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। अभी तक इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है।

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3 - खेती के काम के समय प्रोजेक्ट पर लगेगी रोक

विकसित भारत-रोजगार गारंटी व आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी वीबी जी राम जी योजना से किसानों को डबल फायदा होने का दावा किया गया है। कहा गया है कि इससे एक तरफ उन्हें खेतों के लिए मजदूर आसानी से मिल सकेंगे, वहीं दूसरी तरफखेतों के लिए बेहतर ढांचा तैयार हो सकेगा। इस योजना के अंतर्गत बुआई और कटाई के मौसम में 60 दिन का विशेष समय रखा गया है। इस दौरान मनरेगा के तहत काम बंद कर दिया जाएगा। इसका उद्देश्य बुआई और कटाई के समय मजदूरों की कमी नहीं होने देना है। दावा है कि इस दौरान काम रोकने का फायदा यह होगा कि फर्जी तरीके से मजदूरी को नहीं बढ़ाया जा सकेगा। किसान को सिंचाई परियोजनाओं का भी लाभ सीधे तौर पर मिलेगा।

4. हर सप्ताह होगा मजदूरी का भुगतान

नए बिल में मनरेगा के उलट हर सप्ताह मजदूरी का भुगतान करने का प्रावधान किया गया है। मनरेगा के तहत 15 दिनों भुगतान होता था। लेकिन नए कानून के तहत मजदूरी का भुगतान साप्ताहिक आधार पर या काम पूरा होने के अधिकतम 15 दिनों के भीतर करना अनिवार्य होगा। यदि आवेदन के 15 दिनों के भीतर काम उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो बेरोजगारी भत्ता देने का भी प्रावधान रखा गया है। बिल में मजदूरी की तय राशि का साफ उल्लेख नहीं है। इसका मतलब है कि मजदूरी दरें केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग तय करेंगी, जैसे अभी मनरेगा में होता है। फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता कि मजदूरी बढ़ेगी या नहीं।

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5. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ताकत मिलने का दावा

नए कानून में दावा किया गया है कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। ग्रामीणों की आय में बढ़ोतरी होगी। इस योजना में जल से संबंधित कामों को प्राथमिकता दी गई है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क निर्माण, कनेक्टिविटी और इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देकर बाजारों तक पहुंच बढ़ेगी। साथ ही गांवों में कारोबार की गतिविधियां बढ़ेंगी। भंडारण, बाजार और उत्पादन के चलते आजीविका में बढ़ोतरी होगी।

विपक्ष ने मनरेगा के स्थान पर नया कानून बनाने की तैयारी के बीच सोमवार को कहा कि आखिर इस योजना से महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया जा रहा है। उसने यह आरोप भी लगाया कि सरकार का कदम महात्मा गांधी का अपमान है।

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