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सावन का महीना सबसे पावन और शुभ! फिर भी शादियों पर क्यों है रोक? जानें इसकी धार्मिक वजह?

कहा जाता है कि जब भगवान विष्णु ध्यान की अवस्था में होते हैं, तब वह धरती का संचालन भगवान शिव को सौंप देते हैं। इस समय भगवान शिव की पूजा-आराधना की जाती है, लेकिन वह खुद शादी समारोह में शामिल नहीं होते, इसलिए सावन में शादी करना शुभ नहीं माना जाता।

सावन का महीना सबसे पावन और शुभ! फिर भी शादियों पर क्यों है रोक? जानें इसकी धार्मिक वजह?
सावन का महीना सबसे पावन और शुभ! फिर भी शादियों पर क्यों है रोक? जानें इसकी धार्मिक वजह? फोटोः IANS

सावन का महीना हिंदू धर्म में बहुत ही खास माना जाता है क्योंकि यह भगवान शिव का प्रिय महीना होता है। इस महीने में भक्त बड़ी श्रद्धा से भोलेनाथ की पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं और उनसे खुशहाली की प्रार्थना करते हैं। कहा जाता है कि अगर सावन में भगवान शिव प्रसन्न हो जाएं तो हर मनोकामना पूरी हो जाती है। खासकर कुंवारी लड़कियां अपने मनपसंद वर की प्राप्ति के लिए सावन में भोलेनाथ की पूजा करती हैं, वहीं विवाहित महिलाएं अपने पति और परिवार की खुशहाली के लिए माता पार्वती और भगवान शिव की अराधना करती हैं।

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लेकिन इतना पवित्र और शुभ महीना होने के बावजूद, सावन में शादियों को क्यों टाला जाता है? इसके पीछे भी एक खास धार्मिक वजह छिपी है। दरअसल, सावन का महीना चातुर्मास के समय आता है। इस दौरान भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा यानी गहरी नींद में चले जाते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार शादी-विवाह जैसे बड़े मांगलिक काम भगवान विष्णु के आशीर्वाद के बिना पूरे नहीं हो सकते। इसलिए जब वह योग निद्रा में होते हैं, तब इस तरह के मांगलिक कार्यों पर रोक लगाई जाती है।

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कहा जाता है कि जब भगवान विष्णु ध्यान की अवस्था में होते हैं, तब वह धरती का संचालन भगवान शिव को सौंप देते हैं। इस समय भगवान शिव की पूजा-आराधना की जाती है, लेकिन वह खुद शादी समारोह में शामिल नहीं होते, इसलिए सावन में शादी करना शुभ नहीं माना जाता। भगवान विष्णु के योग निद्रा के कारण सावन के महीने में शादी-विवाह का आयोजन न के बराबर होता है। भक्त इस महीने में पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ भोलेनाथ की पूजा करते हैं और अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।

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वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू होगा। इस बार सावन के पहले ही दिन शिववास योग बन रहा है, यह एक विशेष योग है। इस शुभ योग में भगवान शिव माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर विराजमान रहेंगे। मान्यता है कि इस योग में शिवजी की पूजा और जलाभिषेक करने से साधक को सौभाग्य, सुख-समृद्धि और मनचाहा वरदान प्राप्त होता है।

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