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BSF को ज्यादा पावर देने का पंजाब में हो रहा कड़ा विरोध, केंद्र सरकार पर बरसे CM चन्नी, सुखबीर बादल समेत सभी बड़े नेता

BSF के दायरे को 15 से बढ़ाकर 50 किलोमीटर तक करने के केंद्र के फैसले को लेकर पंजाब में सियासत खासी गरमा गई है। CM चरणजीत सिंह चन्नी से लेकर मुख्य विपक्षी दल शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल इस मुद्दे पर केंद्र का तीखा विरोध कर रहे हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

बीएसएफ के दायरे को 15 से बढ़ाकर 50 किलोमीटर तक करने के केंद्र के फैसले को लेकर पंजाब में सियासत खासी गरमा गई है और आम लोग भी इसके विरोध में हैं। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से लेकर मुख्य विपक्षी दल शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल इस मुद्दे पर केंद्र का तीखा विरोध कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा शीघ्र केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर अपना एतराज जताएंगे और मांग करेंगे कि केंद्र यह फैसला वापिस ले।

Published: 14 Oct 2021, 5:00 PM IST

केंद्र सरकार के फैसले का सभी दल कर रहे विरोध

मुख्यमंत्री चन्नी ने रंधावा के साथ लंबी बैठक के बाद डीजीपी इकबाल प्रीत सिंह सहोता से केंद्र के नए फैसले पर पूरी रिपोर्ट बनाकर देने को कहा है। चरणजीत सिंह चन्नी और सुखजिंदर सिंह रंधावा का सीधे तौर पर मानना है कि बीएसएफ का दायरा बढ़ाना संघीय ढांचे पर प्रहार है। मुख्यमंत्री का कहना है कि इतना बड़ा फैसला लेने से पहले केंद्र ने पंजाब सरकार को विश्वास में नहीं लिया और न कुछ बताया। अचानक सब कुछ कर दिया। राज्य सरकार के कई मंत्रियों और विधायकों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के इस नोटिफिकेशन का कड़ा विरोध किया है। राज्य कांग्रेस के पूर्व प्रधान सुनील जाखड़ ने कहा है कि केंद्र के इस फैसले से पंजाब पुलिस स्तब्ध है तथा उसके मनोबल पर इसका असर पड़ सकता है।

Published: 14 Oct 2021, 5:00 PM IST

सुखबीर सिंह बादल बोले- केंद्र का फैसला संघीय सिद्धांत से छेड़छाड़

उधर, शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने भी इस फैसले को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार राज्यों को अधिक स्वायत्तता तो क्या देगी बल्कि मूल संघीय ढांचे को ही खत्म करने पर तुली हुई है। बादल ने कहा कि राज्य सरकार की पूर्व सहमति के बगैर राज्य में सेना या अर्धसैनिक बल तैनात करने का कोई संवैधानिक हक केंद्र को नहीं है। मौजूदा फैसला सीधे-सीधे संघीय सिद्धांत से छेड़छाड़ है। इसका संसद से लेकर सड़क तक कड़ा विरोध किया जाना चाहिए।

Published: 14 Oct 2021, 5:00 PM IST

केंद्र के फैसले पर भड़के दलजीत सिंह चीमा

जबकि शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि बीएसएफ के दायरे को 50 किलोमीटर तक करना पंजाब के लगभग आधे हिस्से में परोक्ष रूप से राष्ट्रपति शासन लगाना है। यह वस्तुतः राज्य को वास्तविक केंद्र शासित प्रदेश में बदलना है। राज्य को सीधे केंद्रीय शासन के तहत करने के इस प्रयास का विरोध किया जाना चाहिए और विरोध किया जाएगा। चीमा ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि बीएसएफ को राज्य पुलिस की सामान्य ड्यूटी छीन कर व्यापक शक्तियां दी गईं हैं। संविधान के अनुसार केवल राज्य सरकार ही बीएसएफ को प्रदेश प्रशासन की सहायता के लिए बुला सकती है। राज्य सरकार के औपचारिक अनुरोध के बिना केंद्र इस तरह से धक्केशाही नहीं कर सकता। संयुक्त शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखदेव सिंह ढींडसा ने भी बीएसएफ का दायरा बढ़ाने को लेकर केंद्र सरकार की सख्त आलोचना की है।

Published: 14 Oct 2021, 5:00 PM IST

आम जनता भी नाराज, फैसले को बताया गलत

केंद्र के इस फैसले का पंजाब के आम से खास सभी लोग विरोध कर रहे हैं। तरनतारन के बाशिंदे एडवोकेट रमणीक सिंह संधू कहते हैं कि केंद्र सरकार का यह कदम पंजाब के लिए बेहद खतरनाक है, क्योंकि इससे राज्य पुलिस और बीएसएफ में अपने-अपने अधिकारों को लेकर विवाद होंगे। अमृतसर के व्यापारी निशान सिंह खालसा का मानना है कि बीएसएफ को सीमा पर ही सक्रिय रखना ठीक होगा। फिरोजपुर के अखबारकर्मी अवतार सिंह लहोरिया का कहना है कि पंजाब में माहौल कमोबेश ठीक है और अतीत बताता है कि जब-जब यहां अर्धसैनिक बलों को ज्यादा शक्तियां दी गईं उनका दुरुपयोग भी खूब हुआ। लोग दिक्कत में आए हैं। फाजिल्का के रमन कुमार के मुताबिक केंद्र सरकार का यह फैसला सही नहीं है, हथियारों और नशों की तस्करी की शुरुआत बॉर्डर से होती है।

Published: 14 Oct 2021, 5:00 PM IST

गुरदासपुर के किसान संतोष सिंह सिद्धू का कहना है कि पुलिस किसी को पकड़ती थी तो लोग थाने अदालत जाकर इंसाफ ले सकते थे, लेकिन केंद्र के नए फैसले में स्पष्ट नहीं है कि बीएसएफ गिरफ्तार और जब्ती करेगी तो लोग कहां जाएंगे, किस से गुहार करेंगे? क्योंकि यह केंद्र के अधीन आने वाली एजेंसी है। जो भी हो लेकिन पंजाब में केंद्र के इस फैसले का कड़ा विरोध हो रहा है। स्थानीय मीडिया में भी इसके खिलाफ खबरें हैं। प्रमुख दैनिक 'पंजाबी ट्रिब्यून' ने बीएसएफ का दायरा बढ़ाने के केंद्र के फैसले पर अपने संपादकीय का शीर्षक दिया: 'संघीय ढांचे पर हमला!'

Published: 14 Oct 2021, 5:00 PM IST

 केंद्र के फैसले से आधे से ज्यादा पंजाब बीएसएफ के दायरे में

गौरतलब है कि पंजाब में बीएसएफ का दायरा 15 किलोमीटर से बढ़ा कर 50 किलोमीटर करने का सीधा असर अमृतसर, गुरदासपुर, पठानकोट, फिरोजपुर, तरनतारन और फाजिल्का पर पड़ेगा। ये महत्वपूर्ण जिले बीएसएफ के अधीन हो जाएंगे। इनसे सटे 223 गांव भी। जबकि होशियारपुर, कपूरथला, जालंधर, मोगा, फरीदकोट और मुक्तसर आंशिक रूप से बीएसएफ के अधीन होंगे। इन तमाम जिलों के 50 किलोमीटर के दायरे में बीएसएफ तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारियां कर सकेगी। बीएसएफ को सीआरपीसी तथा पासपोर्ट एक्ट (एंट्री टू इंडिया) के तहत भी कार्यवाही के अधिकार दिए गए हैं। सूबे के कुल 50,362 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में से 27,600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र बीएसएफ के दायरे में होगा। यानी आधे से ज्यादा पंजाब।

Published: 14 Oct 2021, 5:00 PM IST

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Published: 14 Oct 2021, 5:00 PM IST