बिहार में भीषण गर्मी और लू का कहर जारी है। इसकी चपेट में आने से 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि सरकारी आंकड़ों की बात करे तो गर्मी और लू की चपेट में आने से 78 लोगों की मौत की पुष्टी की है। सरकारी आंकड़े के मुताबिक, औरंगाबाद में 35 लोगों, गया में 31 की मौत हो चुकी है। गया में गर्मी के प्रकोप को लेकर लेकर डीएम ने धारा 144 के तहत आदेश निकाला है।
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डीएम गया ने धारा 144 के तहत जारी किए गए ऑर्डर में सरकारी-गैरसरकरी निर्माण कार्य, मनरेगा के तहत मजदूरी और खुले में दिन के 11 बजे से 4 बजे तक किसी भी सभा या सांस्कृतिक कार्यक्रम पर रोक लगा दी है। लू से हो रही मौतों को देखते हुए ये आदेश जारी किया गया है।
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वहीं राज्य में शिक्षा विभाग ने आदेश दिया है कि गर्मी के कहर को देखते हुए सभी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूल 22 जून तक बंद रहेंगे। आदेश में कहा गया है, “राज्य में पड़ रही भीषण गर्मी को ध्यान में रखते हुए ग्रीष्मावकाश के बाद अपने जिले में अवस्थित सभी प्राथमिक से उच्च प्राथमिक स्तरीय विद्यालयों का संचालन आवश्यकतानुसार 30 जून तक सुबह की पाली में संचालित करने का निर्णय लिया गया था। राज्य में दिन-प्रतिदिन बढ़ रही गर्मी और लू को देखते हुए राज्य के सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में दिनांक 22 जून तक बच्चों के पठन-पाठन को बंद करने का निर्णय लिया गया है।”
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बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ मंत्री हर्षवर्धन रविवार को पटना पहुंचने के बाद कहा था कि लू लगने से हुई मौतें दुर्भाग्यपूर्ण है। साथ ही हर्षवर्धन ने गर्मी में लोगों से घर से न निकलने की अपील की थी। वहीं बिहार सरकार ने मृतकों को 4 लाख रुपये की मदद देने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शोक जताते हुए कहा कि मृतकों के परिवारवालों को चार-चार लाख रुपए का मुआवजा देने का ऐलान किया है।
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बिहार सरकार ने सभी प्रभावित जिलों में मरीजों के लिए अतिरिक्त डॉक्टरों की तैनाती की है। इसके अलावा गांवों और शहरों में पीने का पानी पहुंचाने के लिए अतिरिक्त टैंकर लगाए गए हैं।
गौरतलब है कि गर्मी और लू से सबसे अधिक मौतें औरंगाबाद, नवादा, पटना, पूर्वी बिहार, रोहतास, जहानाबाद और भोजपुर जिलों में हुई हैं। गया, नवादा और औरंगाबाद के अस्पतालों में 300 से ज्यादा मरीज भर्ती कराए गए हैं। साथ ही नए मरीजों के आने का सिलसिला लगातार जारी है।
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