ईओडब्ल्यू के सूत्रों ने बताया, "ई-टेंडरिंग में हुई छेड़छाड़ के मामले की जांच जारी है। सॉफ्टवेयर कंपनी के तीन अधिकारियों की गिरफ्तारी हो चुकी है और वे पुलिस रिमांड पर हैं। उनसे पूछताछ का दौर जारी है। इसी पूछताछ के आधार पर इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम के ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल के नोडल अधिकारी को गिरफ्तार किया गया है।" नंदकुमार की गिफ्तारी को काफी अहम माना जा रहा है।
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गौरतलब है कि शिवराज सिंह चौहान सरकार के दौरान हुए ई-टेंडरिंग घोटाले में कंप्यूटर इमर्जेसी रेस्पॉन्स टीम (सीईआरटी) की रिपोर्ट से गड़बड़ी की बात सामने आई थी। इसके बाद बुधवार को ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद गुरुवार को ईओडब्ल्यू की टीम ने मानसरोवर स्थित ओस्मो फाउंडेशन के दफ्तर पर छापा मारा और तीन अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया था। मध्य प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेंट कर्पोरेशन लिमिटेड (एमपीएईडीसी) के ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल के संचालन का काम सॉफ्टवेयर कंपनियों के पास था।
विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में ई-टेंडरिंग घोटाले ने तूल पकड़ा था। तब यह बात सामने आई थी कि सॉफ्टवेयर कंपनियों के सहारे टेंडर हासिल करने वाली निर्माण कंपनियों ने मनमाफिक दरें भरकर गौरकानूनी तरीके से दोबारा टेंडर जमा कर दिए थे। इससे टेंडर चाहने वाली कंपनी को लाभ मिल गया। ईओडब्ल्यू ने सीईआरटी की रपट के आधार पर मामला दर्ज किया।
ईओडब्ल्यू के मुताबिक 3,000 करोड़ रुपये के ई-टेंडरिंग घोटाले में सबूत और तकनीकी जांच में पाया गया है कि ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ कर जल निगम के तीन, लोक निर्माण विभाग के दो, जल संसाधन विभाग के दो, मप्र सड़क विकास निगम के एक और लोक निर्माण की पीआईयू के एक टेंडर कुल मिलाकर नौ टेंडर में सॉफ्टवेयर के जरिए छेड़छाड़ की गई। इसके जरिए सात कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया है। इन कंपनियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।
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