आर.जी. कार मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) उनके कार्यकाल के दौरान हुई वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दाखिल करेगी।
रिपोर्ट की मानें तो इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों द्वारा दायर पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के आधार पर ईडी ईसीआईआर दर्ज करेगी। सीबीआई ने पिछले सप्ताह कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद मामले की जांच शुरू की है।
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न्यूज एजेंसी ने अपने सूत्रों के हवाले से बताया कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय की जांच शाखा ईडी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग एंगल की जांच करेगी।
ईडी के पास किसी भी मामले में जांच शुरू करने के लिए सीबीआई की तुलना में अधिक शक्तियां हैं। सीबीआई सिर्फ दो परिस्थितियों में जांच करती है, जब कोई राज्य सरकार मामले की जांच के लिए मंजूरी दे या फिर कोर्ट के आदेश के बाद जांच शुरू की जा सकती है। ईडी पर इस तरह के कोई प्रतिबंध नहीं है।
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IANS ने अपने सूत्रों के हवाले से बताया कि मामले में ईडी की एंट्री होते ही संदीप घोष और उनके करीबी सहयोगियों को एक और जांच का सामना करना पड़ सकता है। पहले से ही सीबीआई के अधिकारी आरजी कर रेप और मर्डर केस मामले में जांच कर रहे हैं।
सीबीआई ने घोष के अलावा आरजी कर के पूर्व चिकित्सा अधीक्षक संजय वशिष्ठ, अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के देबाशीष सोम से मामले में पूछताछ की है। सीबीआई की एफआईआर में घोष और तीन व्यापारिक संस्थाओं के नाम शामिल हैं। तीनों संस्थाओं को कथित वित्तीय घोटाले का लाभार्थी माना जा रहा है।
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