स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कई बातों का जिक्र किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र को संदेश देते हुए कहा कि स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आप सभी को मैं हार्दिक बधाई देती हूं। हम सभी के लिए यह गर्व की बात है कि स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस, सभी भारतीय उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं। ये दिवस हमें भारतीय होने के गौरव का विशेष स्मरण कराते हैं। हमारे लिए, हमारा संविधान और हमारा लोकतंत्र सर्वोपरि है।
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उन्होंने कहा कि 15 अगस्त की तारीख, हमारी सामूहिक स्मृति में गहराई से अंकित है। औपनिवेशिक शासन की लंबी अवधि के दौरान देशवासियों की अनेक पीढ़ियों ने यह सपना देखा था कि एक दिन देश स्वाधीन होगा। देश के हर हिस्से में रहने वाले लोग विदेशी शासन की बेड़ियों को तोड़ फेंकने के लिए व्याकुल थे, लेकिन बलवती आशा का भाव था। आशा का वही भाव, स्वतंत्रता के बाद हमारी प्रगति को ऊर्जा देता रहा है। कल, जब हम अपने तिरंगे को सलामी दे रहे होंगे, तब हम उन सभी स्वाधीनता सेनानियों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे, जिनके बलिदान के बल पर 78 साल पहले, 15 अगस्त के दिन, भारत ने स्वाधीनता हासिल की थी।
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उन्होंने कहा कि भारत-भूमि, विश्व के प्राचीनतम गणराज्यों की धरती रही है। इसे लोकतंत्र की जननी कहना सर्वथा उचित है। हमारे द्वारा अपनाए गए संविधान की आधारशिला पर, हमारे लोकतंत्र का भवन निर्मित हुआ है। हमने लोकतंत्र पर आधारित ऐसी संस्थाओं का निर्माण किया, जिनसे लोकतांत्रिक कार्यशैली को मजबूती मिली। हमारे लिए, हमारा संविधान और हमारा लोकतंत्र सर्वोपरि है।
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राष्ट्रपति ने कहा कि आज हमने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया। विभाजन के कारण भयावह हिंसा देखी गई और लाखों लोग विस्थापित होने के लिए मजबूर किए गए। आज हम इतिहास की गलतियों के शिकार हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
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