संसद का मानसून सत्र आज संपन्न हो गया और दोनों सदन अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गए। मौजूदा सत्र पूरी तरह से हंगामे की भेंट चढ़ गया। 21 जुलाई से शुरू हुए सत्र के दौरान लोकसभा में महज 37 घंटे और राज्यसभा में 41 घंटे ही चर्चा हो पाई। दोनों सदनों में क्रमशः 12 और 15 बिल ही पास हो पाए। गुरुवार को सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पहले लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने यह जानकारी दी।
संसद में इस बार बिहार में एसआईआर प्रक्रिया को लेकर पूरा गतिरोध रहा। बिहार में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। विपक्ष का आरोप है कि एसआईआर प्रक्रिया के जरिए बिहार के लोगों के वोट काटे गए हैं। विपक्ष इन्हीं मुद्दों को लेकर सदन में चर्चा के लिए आखिरी दिन तक अड़ा रहा। इस बीच, संसद में नारेबाजी, बिल फाड़कर फेंकने और तख्तियां लहराने जैसे कई घटनाक्रम देखने को मिले। मानसून सत्र के आखिरी मिनट में भी विपक्ष के सांसदों की सदन में नारेबाजी देखी गई। विपक्ष के सदस्य लोकसभा में 'वोट चोर गद्दी छोड़' के नारे लगाते रहे।
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सत्र के आखिरी दिन दोपहर 12.04 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कार्यवाही में भाग लेने के लिए लोकसभा में पहुंचे। विपक्ष के हंगामे के बीच स्पीकर ओम बिरला ने सदन को स्थगित करने की सूचना देते हुए पिछले एक महीने में हुए कार्यों की जानकारी दी। ओम बिरला ने बताया कि चर्चा के लिए 120 घंटे आवंटित किए गए थे। हालांकि, विपक्षी सदस्यों की ओर से बार-बार व्यवधान के कारण सिर्फ 37 घंटे ही उपयोग किए जा सके। अध्यक्ष बिरला ने कहा कि 419 तारांकित प्रश्न प्रस्तुत किए गए थे, फिर भी सिर्फ 55 का ही उत्तर दिया गया। स्पीकर ने बताया कि पूरे सत्र में 14 विधेयक पेश किए गए और 12 पारित हुए, जिनमें आयकर विधेयक, कराधान कानून (संशोधन) विधेयक और राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक शामिल हैं। ऑनलाइन गेमिंग विनियमन विधेयक भी पारित हुआ। हालांकि, संविधान में 130वें संशोधन विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया। इससे पहले, उन्होंने गुरुवार को प्राप्त कई स्थगन नोटिसों पर विचार करने से इनकार कर दिया।
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वहीं राज्यसभा के 268वें सत्र में निर्धारित समय के मुकाबले केवल 38.88 फीसदी कामकाज हो सका। मानसून सत्र का अधिक समय नारेबाजी और हंगामे की भेंट चढ़ गया। सत्र समाप्त होने पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण ने कहा कि अध्यक्ष मंडल की पूरी कोशिशों के बावजूद सत्र लगातार विघ्न और स्थगन का शिकार रहा। राज्यसभा में मानसून सत्र की कुल कार्यवाही 41 घंटे 15 मिनट चली। इस अवधि की उत्पादकता केवल 38.88 प्रतिशत रही। उपसभापति का मानना है कि यह गंभीर आत्ममंथन का विषय है। इससे न केवल बहुमूल्य संसदीय समय नष्ट हुआ, बल्कि कई महत्वपूर्ण सार्वजनिक विषयों पर चर्चा का अवसर भी चूक गया।
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मौजूदा सत्र में सदस्यों को 285 प्रश्न, 285 शून्यकाल नोटिस और 285 विशेष उल्लेख उठाने का अवसर मिला, परंतु केवल 14 प्रश्न, 7 शून्यकाल नोटिस और 61 विशेष उल्लेख ही लिए जा सके। हालांकि, इस सत्र में 15 सरकारी विधेयक पारित या वापस किए गए। जम्मू कश्मीर के पहलगाम में किए गए कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले के जवाब में भारत द्वारा किए गए साहसी एवं निर्णायक 'ऑपरेशन सिंदूर' पर दो दिन तक विशेष चर्चा हुई, जिसमें 64 सदस्यों ने भाग लिया और इस चर्चा का उत्तर गृह मंत्री ने दिया।
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सदन को उपराष्ट्रपति पद के रिक्त होने की जानकारी दी गई। मानसून सत्र की शुरुआत में ही 21 जुलाई को तत्कालीन उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति रहे जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था। इसके अलावा 24 जुलाई 2025 को कार्यकाल पूरा करने वाले तमिलनाडु से छह सदस्यों को विदाई दी गई। उपसभापति ने आशा जताई कि इस सत्र से मिले सबक भविष्य में और अधिक रचनात्मक व सार्थक विमर्श का मार्ग प्रशस्त करेंगे। यह सत्र विधायी दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, लेकिन उत्पादकता के मामले में निराशाजनक भी, जो भविष्य में बेहतर कार्य संस्कृति की ओर संकेत करता है।
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