
मंगलवार को लोकसभा में ‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक, 2025’ पेश किया, जो महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के स्थान पर लाया गया है। सदन में विपक्षी सदस्यों ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम हटाया जाना उनका अपमान है।
वहीं कांग्रेस सांसद और नेता राहुल गांधी ने इसको लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि मोदी जी को दो चीज़ों से पक्की नफ़रत है - महात्मा गांधी के विचारों से और गरीबों के अधिकारों से।
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उन्होंने कहा कि मनरेगा, महात्मा गांधी के ग्राम-स्वराज के सपने का जीवंत रूप है - करोड़ों ग्रामीणों की ज़िंदगी का सहारा है, जो कोविड काल में उनका आर्थिक सुरक्षा कवच भी साबित हुआ।
मगर, प्रधानमंत्री मोदी को यह योजना हमेशा खटकती रही, और पिछले दस सालों से इसे कमजोर करने की कोशिश करते रहे हैं। आज वो मनरेगा का नामो-निशान मिटाने पर आमादा है।
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मनरेगा की बुनियाद तीन मूल विचारों पर थी
1. रोज़गार का अधिकार - जो भी काम मांगेगा, उसे काम मिलेगा
2. गांव को प्रगति कार्य खुद तय करने की स्वतंत्रता
3. केंद्र सरकार मज़दूरी का पूरा खर्च और समान की लागत का 75% देगी
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अब प्रधानमंत्री मोदी इसी मनरेगा को बदलकर सारी ताकत सिर्फ़ अपने हाथों में केंद्रित करना चाहते हैं -
1. बजट, योजनाएं और नियम केंद्र तय करेगा
2. राज्यों को 40% खर्च उठाने के लिए मजबूर किया जाएगा
3. बजट खत्म होते ही या फसल कटाई के मौसम में दो महीने तक किसी को काम नहीं मिलेगा
यह नया बिल महात्मा गांधी के आदर्शों का अपमान है - मोदी सरकार ने पहले ही भयंकर बेरोज़गारी से भारत के युवाओं का भविष्य तबाह कर दिया है, और अब ये बिल ग्रामीण गरीबों की सुरक्षित रोज़ी-रोटी को भी खत्म करने का ज़रिया है। हम इस जनविरोधी बिल का गांव की गलियों से संसद तक विरोध करेंगे।
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