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आंदोलनकारी किसानों ने फिर की वार्ता की पहल, पीएम मोदी को पत्र लिख बातचीत शुरू करने की मांग की

पीएम को लिखे पत्र में किसान नेताओं ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के नाते सरकार को परिपक्वता दिखानी चाहिए और किसानों की मांगों पर विचार करना चाहिए। किसानों ने कहा है कि वे शांतिपूर्ण आंदोलन में विश्वास रखते हैं और शांतिपूर्ण विरोध जारी रहेगा।

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फोटोः getty images Hindustan Times

राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानून के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन को 176 दिन हो चुके हैं। बीते लंबे समय से सरकार और किसानों के बीच बातचीत का दौर भी बंद है। ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर फिर से किसानों से बातचीत शुरू करने की अपील की है।

किसान मोर्चा द्वारा प्रधनमंत्री मोदी को भेजे गए पत्र में मुख्य तौर पर किसान आंदोलन पर सरकार के रवैये का जिक्र किया गया है। इसके साथ ही ग्रामीणों और सामान्य नागरिको के लिए कोरोना महामारी से बचाव के लिए कदम उठाने का भी आह्वान किया गया है।

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किसान नेताओ का कहना है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के नाते सरकार को परिपक्वता दिखानी चाहिए और किसानों की मांगों पर विचार करना चाहिए। वे कानून जो किसानों द्वारा ठुकराए जा चुके हैं, उन्हें जबर्दस्ती लागू करना देश की लोकतांत्रिक और मानवता के मूल्यों के खिलाफ है। सयुंक्त किसान मोर्चा शांतिपूर्ण आंदोलन में विश्वास रखता है और शांतिपूर्ण विरोध ही जारी रहेगा।

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हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब किसान बातचीत करने के लिए सरकार से कह रहे हैं। इससे पहले सरकार और किसान संगठनों के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका है। दूसरी ओर फिर से बातचीत शुरू हो इसके लिए किसान लगातार तैयार हैं, लेकिन सरकार अभी तक बातचीत की टेबल पर नहीं आई है।

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बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा संसद से पास कराए गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों को दिल्ली के विभिन्न बॉर्डर पर बैठे हुए 176 दिन हो चुके हैं। किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि किसान इन विवादित कानूनों को वापस करवाए बिना वापस नहीं जाएंगे, चाहे सरकार जितना समय लगा ले।

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