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जज लोया केस की रिपोर्टिंग में शामिल रहे नेशनल हेरल्ड के पत्रकार को घेरने की कोशिश कर रही है पुणे पुलिस? 

महाराष्ट्र पुलिस की एक टीम ने शनिवार को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) से 20 अप्रैल 2018 को हुए एक सेमिनार का ब्यौरा हासिल किया। व्हाट्सएप संदेशों में पत्रकार का नाम विश्वदीपक बताया गया है जो नेशनल हेरल्ड के लिए काम करते हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया महाराष्ट्र पुलिस ने दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडियासे 20 अप्रैल 2018 को हुए एक सेमिनार का ब्यौरा हासिल किया

महाराष्ट्र पुलिस की एक टीम ने शनिवार को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) से 20 अप्रैल 2018 को हुए एक सेमिनार की बुकिंग का ब्यौरा हासिल किया। यह सेमिनार खुले रूप में शारीरिक तौर पर अशक्त दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जीएन साईंबाबा की रिहाई के लिए था।

एक सब इंस्पेक्टर द्वारा हाथ से लिखे आवेदन में पुणे के विश्रामगढ़ पुलिस थाने में दर्ज एक केस का हवाला दिया गया है। अपुष्ट खबरों के अनुसार, भारतीय दंड संहिता की धाराओं 505 (बी), 152 (बी) और 117 के तहत इसमें आरोप दर्ज हैं।

बुकिंग पर्ची को हासिल करने के बाद पुलिस टीम चली गई।

पीसीआई के सूत्रों के अनुसार, किसी भी बुकिंग के लिए क्लब को एक सदस्य की अनुशंसा चाहिए होती है और सदस्यों के लिए ऐसा करना काफी सामान्य है।

उन्होंने बताया कि यह बुकिंग नेशनल हेरल्ड में काम कर रहे एक पत्रकार ने की थी।

हालांकि न तो सब इंस्पेक्टर के आवेदन में और न ही प्रेस क्लब ने किसी व्यक्ति का नाम लिया है, फिर भी शनिवार, 30 जून को जारी हो रहे व्हाट्सएप संदेशों में पत्रकार का नाम विश्वदीपक बताया गया है जो नेशनल हेरल्ड के लिए काम करते हैं।

विश्वदीपक ने दिसंबर, 2014 में जज बीएच लोया की रहस्यमयी स्थितियों में नागपुर में हुई मौत को लेकर कई रिपोर्टें लिखी हैं। जज लोया अपनी मौत के वक्त सोहराबुद्दीन शेख के कथित फर्जी एनकाउंटर मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा दाखिल डिस्चार्ज याचिका की सुनवाई कर रहे थे। जज लोया ने बीजेपी अध्यक्ष को कोर्ट के सामने हाजिर होने का आदेश भी दिया था। उनकी मौत के बाद दिसंबर के अंत में अमित शाह को डिस्चार्ज कर दिया गया था।

Published: 01 Jul 2018, 10:31 AM IST

वरिष्ठ पत्रकारों ने महाराष्ट्र पुलिस के इस रवैये पर आश्चर्य जताया और कहा कि कैसे सेमिनार के लिए की जाने वाली बुकिंग एक आपराधिक काम हो सकता है।

पुणे के पुलिस कमिश्नर से संपर्क करने की कोशिश इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक नाकाम साबित हुई। जब भी और जैसे ही इस मसले पर पुलिस का वक्तव्य मिल जाता है, इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा।

जिन पत्रकार का इस मामले में नाम आया है वह फिलहाल छुट्टी पर हैं, लेकिन लोगों ने उनसे बात की तो उन्होंने दावा किया कि इस बुकिंग के बारे में वे कुछ भी नहीं जानते हैं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि प्रेस क्लब में उन्होंने दो बुकिंग करवाई थी, एक पिछले साल और दूसरा इस साल जनवरी में, लेकिन वे दोनों कार्यक्रमों में शामिल नहीं थे और उन कार्यक्रमों की कार्यवाही के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।

Published: 01 Jul 2018, 10:31 AM IST

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Published: 01 Jul 2018, 10:31 AM IST

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