पंजाब में धरने पर बैठे किसानों के टेंट और तंबू उखाड़ने और कई किसान नेताओं को हिरासत में लेने के बाद भगवंत मान सरकार अब किसानों के विधानसभा मार्च को लेकर परेशान है। बैकफुट पर आते हुए मान सरकार ने शुक्रवार शाम चार बजे किसानों को चंडीगढ़ के पंजाब भवन में वार्ता के लिए बुलाया है। इस बैठक की अध्यक्षता पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड़िया करेंगे।
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किसान नेताओं ने 26 मार्च को पंजाब विधानसभा के सामने मार्च करने का ऐलान किया है, जिसे देखते हुए यह बैठक बुलाई गई है। राज्य सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और उग्रांव समूह को वार्ता के लिए बुलाया है। बैठक में सरकार और किसान संगठनों के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी, जिसमें किसानों के अधिकारों और उनकी मांगों पर चर्चा की जाएगी। एसकेएम द्वारा 26 मार्च को किए गए विधानसभा घेराव के ऐलान के बाद यह बैठक महत्वपूर्ण हो गई है, क्योंकि यह किसानों और सरकार के बीच के विवादों को सुलझाने की दिशा में एक अहम कदम हो सकता है।
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इससे पहले पंजाब पुलिस ने बुधवार देर रात को विभिन्न मांगों को लेकर कई महीने से शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के टेंटों को ध्वस्त कर दिया और धरने पर बैठे किसानों को हटा दिया था। इसके साथ ही प्रमुख किसान नेताओं जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंढेर को हिरासत में ले लिया गया। किसान नेता शंभू बॉर्डर की ओर जा रहे थे, लेकिन मोहाली में पंजाब पुलिस ने उनके काफिले को रोक लिया, जहां उन्हें हिरासत में ले लिया गया। इसके बाद खनौरी बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस ने सीमेंट से बनी दीवारों को हटा दिया है। ये दीवारें किसानों को रोकने के लिए बनाई गई थीं। इस दीवार को हटाने के बाद हरियाणा की ओर से रास्ता साफ कर दिया गया है।
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सरकार की ओर से की गई इस कार्रवाई के बाद तमाम किसानों ने कड़ा एतराज जताया है। इसी बीच एसकेएम ने विधानसभा घेराव का ऐलान किया। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि पंजाब सरकार के रास्ते का मामला है और वे इस मुद्दे पर किसानों के साथ बातचीत कर सकते थे। केंद्र सरकार चाहती है कि किसान और पंजाब सरकार के बीच टकराव बना रहे। हमारी यही मांग है कि किसानों को रिहा किया जाए। साथ ही पंजाब के सीएम को किसानों से बातचीत करनी चाहिए और समन्वय स्थापित करना चाहिए। हमारी मांगें केंद्र सरकार के पास है और पंजाब को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, नहीं तो पूरा आंदोलन पंजाब में चला जाएगा।
बता दें कि पंजाब-हरियाणा के खनौरी और शंभू बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन पिछले साल 13 फरवरी से चल रहा था। किसानों की मांग थी कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दी जाए, लेकिन एक साल से ज्यादा समय तक चले इस प्रदर्शन के बावजूद केंद्र सरकार ने कोई बात नहीं सुनी। सरकार सिर्फ बातचीत का दिखावा करती रही।
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