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राहुल का फिर केंद्र पर हमला, बोले- कृषि कानून किसानों के लिए मौत की सजा, इनकी आवाज को संसद में, बाहर कुचला गया

राहुल गांधी ने ट्वीट के जरिए एक अखबार की कटिंग को शेयर करते हुए सरकार पर निशाना साधा है। यह पूरा विवाद राज्यसभा में कृषि बिलों को लेकर मत विभाजन से जुड़ा है। अब मत विभाजन नहीं कराने पर राज्यसभा के उपसभापति का बयान आया है, जिसमें उन्होंने सफाई दिया है।

फोटो: Getty Images
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कृषि कानून को लेकर एक बार फिर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “कृषि कानून हमारे किसानों के लिए मौत की सजा है। उनकी आवाज को संसद और बाहर कुचल दिया गया। यहां इस बात का प्रमाण है कि भारत में लोकतंत्र मर चुका है।”

Published: 28 Sep 2020, 12:23 PM IST

राहुल गांधी ने ट्वीट के जरिए एक अखबार की कटिंग को शेयर करते हुए सरकार पर निशाना साधा है। यह पूरा विवाद राज्यसभा में कृषि बिलों को लेकर मत विभाजन से जुड़ा है। मत विभाजन नहीं कराने पर राज्यसभा के उपसभापति का बयान आया है, जिसमें उन्होंने सफाई देते हुए कहा है कि चूंकि सीट पर विपक्ष के संसाद मौजूद नहीं थे इसलिए मत विभाज की बजाय कृषि बिलों को ध्वनिमत से ही पारित करा लिया गया था।

Published: 28 Sep 2020, 12:23 PM IST

इस बीच कई अखबारों और मीडिया हाउस ने राज्यसभा की कार्यवाही के वीडियो के हवाले से एक रिपोर्ट छापी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उप सभापति का यह कहना कि राज्यसभा में कृषि बिल पास कराने के दौरान एक भी विपक्षी सांसद सीट पर मौजूद नहीं थे इसलिए उन्होंने मत विभाजन नहीं कराया यह गलत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस समय राज्यसभा में हंगामा हो रहा था और विपक्षी सांसद आसन के करीब पहुंच गए थे, उस समय भी सीट पर दो विपक्षी सांसद मौजूद थे और मत विभाजन की मांग कर रहे थे। ऐसे में नियमों के हिसाब से उप सभापति को मत विभाजन कराना चाहिए था, जोकि उन्होंने नहीं कराया। इसी बात का राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में जिक्र करते हुए लिखा है कि देश में लोकतंत्र मर चुका है।

Published: 28 Sep 2020, 12:23 PM IST

अंग्रेजी अखबार ‘द संडे एक्सप्रेस’ के मुताबिक, डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि, “मैं मत विभाजन के लिए सीट से चिल्लाया था। हमें मालूम था कि हमने प्रस्ताव आगे बढ़ाए हैं। हमारे हेडसेट्स ऑन थे। स्वाभाविक है कि हम सीट पर ही थे। हम मत विभाजन (वोटिंग) की मांग को कई बार नजरअंदाज किया गया। कम से कम संसद के चार नियम तोड़े गए।

Published: 28 Sep 2020, 12:23 PM IST

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Published: 28 Sep 2020, 12:23 PM IST