कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मनरेगा के बजट में कटौती और वेतन को आधार से जोड़ने की केंद्र की मोदी सरकार की नीति पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे केंद्र की गरीब प्रताड़ना नीति करार देते हुए गरीबों की आमदनी पर वार बताया है। उन्होंने कहा कि "न नई सोच, न कोई योजना बस एक नीति, गरीबों की प्रताड़ना।"
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राहुल गांधी ने फेसबुक पर जारी एक पोस्ट में कहा कि मनरेगा भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आधारशिला है। एक क्रांतिकारी नीति जिसने अनगिनत परिवारों को सहारा दिया है। करोड़ों परिवारों का घर चला रही मनरेगा योजना केन्द्र की दमनकारी नीतियों का शिकार बनती जा रही है।
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उन्होंने केन्द्र पर आरोप लगाते हुए कहा, पहले मनरेगा का बजट काटना और अब वेतन को आधार से जोड़ना - ये दोनों गरीबों की आमदनी पर वार है। यूपीए सरकार की आधार कार्ड के प्रति सोच थी, लोगों को सहूलियत देने की, पहचान की और आर्थिक सुरक्षा देने की। लेकिन मौजूदा सरकार न सिर्फ इस सोच का दुरुपयोग कर रही है बल्कि इसका इस्तेमाल गरीब तबके के विरुद्ध कर रही है।
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राहुल गांधी ने कहा, न आधार का सही रूप से संचार हुआ, न सही सुरक्षा की व्यवस्था की गई। आधार कार्ड को मनरेगा के लिए अनिवार्य बना देने से 57 फीसदी ग्रामीण मजदूरों को दिहाड़ी में नुकसान होगा। नए रोजगार देने की इनके पास कोई नीति नहीं है। बस लोगों का रोजगार छीनना और गरीबों को उनके हक का पैसा मिलने में अड़चनें पैदा करना ही इस सरकार की नीयत बन गई है। अंत में उन्होंने कहा, "न नई सोच, न कोई योजना, बस एक नीति, ग़रीबों की प्रताड़ना।"
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