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विश्वविद्यालयों के रोस्टर पर राहुल बोले- वंचितों का मुख्यधारा से निकास, उद्योगपति मित्रों का विकास है पीएम का मंत्र

राहुल गांधी ने कहा कि विश्वविद्यालयों में पहले मोदी जी ने सीटें घटाकर वंचित तबकों से शिक्षा के अवसर छीने, छात्रवृत्तियां खत्म की। रोहित वेमुला जैसे युवाओं पर हमला किया। अब 13 प्वाइंट रोस्टर के जरिए विश्वविद्यालयों में उनके नौकरी के अवसर भी खत्म कर दिए।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा विश्वविद्यालयों में रोस्टर सिस्टम लागू करने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “पहले मोदी जी ने सीटें घटाकर वंचित तबकों से शिक्षा के अवसर छीने। छात्रवृत्तियां खत्म की। रोहित वेमुला जैसे युवाओं पर हमला किया। अब 13 प्वाइंट रोस्टर के जरिए विश्वविद्यालयों में उनके नौकरी के अवसर भी खत्म। इनका मंत्र है: वंचितों का मुख्यधारा से निकास, उद्योगपति मित्रों का विकास!”

Published: 03 Feb 2019, 12:35 PM IST

समझिए 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम क्या है:

13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम के अनुसार, विश्वविद्यालयों के किसी विभाग में जब तक 4 सीट नहीं होगी तब तक पिछड़ी जाति से कोई प्रोफेसर नहीं बन पाएगा। इसी तरह जब तक 7 सीट एक साथ विज्ञप्ति नहीं होंगी तब तक कोई दलित प्रोफेसर नहीं आ पाएगा और 14 सीट नहीं आई तो कोई आदिवासी प्रोफेसर नहीं बन पाएगा। इस रोस्टर का कड़ा विरोध हो रहा है। इसी रोस्टर सिस्टम पर राहुल गांधी ने सवाल खड़े किए हैं।

विश्वविद्यालयों में 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम लागू किए जाने का मोदी के मंत्री भी विरोध कर चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में दिल्ली में आयोजित एनडीए की बैठक में विश्वविद्यालयों में 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने सरकार से तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी। अनुप्रिया पटेल ने बैठक में कहा था कि 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम को लेकर ओबीसी, एससी/एसटी वर्ग के लोगों में नाराजगी है।

अनुप्रिया पटेल ने कहा था कि खबरों के मुताबिक, देश के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एससी वर्ग के प्रोफेसर की संख्या सिर्फ 39, यानी 3.47 फीसदी है। एसटी वर्ग के प्रोफेसर की संख्या महज 8, यानी 0.7 फीसदी है, और ओबीसी वर्ग के प्रोफेसर की संख्या शून्य है। वहीं सामान्य वर्ग के प्रोफेसरों की संख्या 1125 में से 1071 है, यानी 95.2 फीसदी है।

पटेल के अनुसार, विश्वविद्यालयों में एससी वर्ग के एसोसिएट प्रोफेसरों की संख्या 130, यानी 4.96 फीसदी है। एसटी वर्ग के एसोसिएट प्रोफेसरों की संख्या 34, यानी 1.30 फीसदी है और ओबीसी वर्ग के एसोसिएट प्रोफेसरों की संख्या शून्य है। सामान्य वर्ग के एसोसिएट प्रोफेसरों की संख्या 2620 में 2434, यानी 92.90 फीसदी है। यही वजह है कि मोदी के मंत्रियों समेत पूरे देश में 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।

Published: 03 Feb 2019, 12:35 PM IST

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Published: 03 Feb 2019, 12:35 PM IST